कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है | कुतुब मीनार का इतिहास

भारत में बहुत सारे ऐसे प्राचीन स्थल है, तथा स्मारक और कलाकृतियां हैं, जिनको देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग भारत में आते हैं। इसी तरह कुतुब मीनार प्राचीन भारत के कलाकृति का एक नमूना है, जिसको ऐतिहासिक काल में मुस्लिम शासकों द्वारा बनवाया गया था। उस समय या दुनिया की सबसे ऊंची मीनार हुआ करती थी, कुतुबमीनार में प्राचीन काल के कलाकारों द्वारा दर्शाई गई कलाकृति का दर्शनीय नमूना प्रस्तुत किया गया है, जिसको देखने के पश्चात लोगों के होश उड़ जाते हैं। प्राचीन काल में बिना टेक्नोलॉजी तथा बिना मशीनरी के प्रयोग के बिना ऐसी कलाकृति तथा ऐसे निर्माण पद्धति कैसे संभव हो सकती हैं, जो आधुनिक युग के इंजीनियरों द्वारा नहीं की जा सकती है। क़ुतुब मीनार मुस्लिम शासकों द्वारा भारत को दिया गया एक तोहफा है, जिसके कारण ऐतिहासिक स्थलों के लिए भारत पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 

Kutub Minar (कुतुब मीनार)

Kutub Minar (कुतुब मीनार)

जिस प्रकार पूरे भारत में आधुनिक समय में दिल्ली एक ऐसा शहर है, जहां पर सभी प्रकार की सुख सुविधाएं तथा आधुनिक टेक्नोलॉजी उपलब्ध है, जिसके कारण पूरे भारत के साथ-साथ विश्व में दिल्ली अपनी एक अलग पहचान रखता है। इसी प्रकार प्राचीन काल में भी जिस समय मुस्लिम शासक भारत पर आए और उन्होंने हजारों साल तक भारत में राज्य किया, तब भी दिल्ली भारत का अभिन्न केंद्र रही थी।

प्राचीन काल से ही दिल्ली में विभिन्न प्रकार के राजाओं ने राज किया। दिल्ली को विभिन्न प्रकार की सौगातें प्रदान की जिनके कारण आज भी दिल्ली का नाम दुनिया में प्रसिद्ध है। इन्हीं सौगातों में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा दिल्ली को कुतुबमीनार का तोहफा दिया गया, जिसे आज भी लोग देखने के लिए भारी मात्रा में पूरे दुनिया तथा देश से आते हैं। क़ुतुब मीनार एक ऐसे प्राचीन मीनार है, जिसे देखने के लिए भारत समेत पूरी दुनिया से पूरे वर्ष टूरिस्ट आते रहते हैं। 

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क़ुतुब मीनार का इतिहास

क़ुतुब मीनार का इतिहास

दिल्ली के प्रथम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा कुतुब मीनार की नींव रखी गई, और उन्होंने इसे जाम के मीनार से प्रेरित होकर कुतुब मीनार का निर्माण प्रारंभ करवाया कुतुबमीनार का निर्माण कार्य 1193 में प्रारंभ किया गया। किंतु कुतुबुद्दीन ऐबक के रहते वह इस कार्य को पूरा नहीं किया जा सकता और कुतुब मीनार का कार्य केवल 2 मंजिला था कि कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु हो जाती है।

कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद इनके दामाद और दिल्ली के असली संस्थापक मानने जाने वाले इल्तुतमिश द्वारा तीसरी और चौथी मंजिल का निर्माण 1215 ईस्वी में कराया गया, तथा शेष कुतुब मीनार का निर्माण 1368 ईस्वी में फिरोज़ शाह तुगलक द्वारा पूरा हुआ। इस प्रकार देखा जाए तो कुतुब मीनार के निर्माण में तीन मुस्लिम शासकों का योगदान रहा है।

कुतुबुद्दीन ऐबक ने सर्वप्रथम कुतुब मीनार का निर्माण कराने के लिए इसकी नींव रखी उन्होंने कुतुब मीनार को जाम के मीनार से प्रेरित होकर इसका निर्माण कराने के लिए सोचा था, और उस समय में इसको दुनिया की सबसे ऊंची मीनार बनाना चाहते थे, लेकिन उनका सपना अधूरा रह गया। किंतु उनके सपने को पूरा किया उन्हीं के शासक फिरोजशाह तुगलक ने जिसे उन्होंने पांचवी मंजिल तक बनाकर दुनिया की सबसे ऊंची मीनार खड़ा कर दी थी।

कुतुबमीनार का का एक कोन की तरह बनाया गया है। कुतुबमीनार नीचे से अधिक चौड़ी तथा ऊपर जाते जाते इसका व्यास केवल 9 फिट रह जाता है कुतुब मीनार के प्रथम तीन मंजिलें बलुआ पत्थर से बनी है तथा ऊपर की दो मंजिलें बलुआ पत्थर तथा संगमरमर से बनी हुई हैं। जिस पर कुरान की आयत तथा फूलों की महीन कारीगरी द्वारा नक्काशी की गई है, जो कुतुब मीनार को और अधिक खूबसूरत बना देती है। 

कुतुब मीनार जिस क्षेत्र में स्थित है उसे कुतुब मीनार कंपलेक्स के नाम से जाना जाता है। कुतुब मीनार कंपलेक्स में कुतुब मीनार के अलावा कुवत उल इस्‍लाम मस्जिद भी उपस्थित है, जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1198 में बनवाया था। इतिहासकारों का मानना है कि कुतुब मीनार कंपलेक्स में पहले 27 जैन मंदिर हुआ करते थे, जिन्हें कुतुबुद्दीन ऐबक ने नष्ट करवा कर कुतुबमीनार तथा कुवत उल इस्‍लाम मस्जिद का निर्माण करवाया था। 

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कुतुबमीनार का नाम किसके नाम पर रखा गया

कुतुबमीनार का नाम किसके नाम पर रखा गया

कुतुबमीनार का नाम कुतुब मीनार की न्यूव रखने वाले दिल्ली के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया था। उनका सपना था कि वह जाम के मीनार की तरह की मीनार का निर्माण अपने शासन काल में करवाएंगे और उन्होंने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया था। इसीलिए कुतुबमीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा दिया गया भारतीय इतिहास को एक तोहफा माना जाता है, क्योंकि कुतुब मीनार बनाने का सपना कुतुबुद्दीन ऐबक ने देखा था और उन्होंने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया था।

कुतुबमीनार का ढांचा तैयार होने के पश्चात कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु हो गई और उनके दामाद ने उस कार्य को आगे बढ़ाते हुए तीन मंजिला कुतुब मीनार का निर्माण करवाया था। उसके पश्चात कुतुबुद्दीन ऐबक के सपने को पूरा करने के लिए दिल्ली के शासक फिरोजशाह तुगलक ने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य पूरा कराया, क्योंकि कुतुबमीनार का निर्माण कार्य प्रारंभ कराने में कुतुबुद्दीन ऐबक का सपना था, इसलिए कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर कुतुबमीनार का नामकरण किया गया और उसे कुतुब मीनार कहा गया। 

कुतुब मीनार का निर्माण कब हुआ

कुतुब मीनार का निर्माण ऐतिहासिक काल में मुस्लिम साम्राज्य कुतुबुद्दीन ऐबक के शासनकाल में प्रारंभ हुआ था। कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा सन 1193 में कुतुब मीनार का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया गया जिससे बाद में इल्तुतमिश तथा फिरोजशाह तुगलक दो अलग-अलग शासक द्वारा पूरा कराया गया। 1215 में इसे इल्तुतमिश द्वारा तथा 1398 ई में फिरोज़ शाह तुगलक द्वारा इसका निर्माण कार्य पूरा कराया गया।

अतः 1193 में कुतुब मीनार का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ तथा 1398 ईसवी में कुतुबमीनार का निर्माण कार्य पूरा किया गया। कुतुब मीनार निर्माण कार्य पूरा कराने में कुल 205 वर्ष का समय लगा जिसे मुस्लिम शासकों द्वारा कराया गया था। 

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कुतुब मीनार का निर्माण किसने करवाया

कुतुब मीनार का निर्माण किसने करवाया

जैसा कि बताया गया है कि कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने प्रारंभ करवाया था, लेकिन कुतुबमीनार का केवल जब ढांचा ही तैयार हुआ था तभी कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु हो जाती है, उसके बाद उसके ही दो उत्तराधिकारी शासकों ने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य पूरा करवाया था, जिन्हें हम इल्तुतमिश तथा फिरोजशाह तुगलक के नाम से जानते हैं, तो देखा जाए तो कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था।

जिनके नाम पर इसका नाम कुतुबमीनार भी रखा गया था, लेकिन देखा जाए तो कुतुबमीनार के निर्माण के नाम के आधार पर तीन मुस्लिम शासकों का नाम लिया जा सकता है, जिसमें प्रथम कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश तथा तीसरे नंबर पर फिरोजशाह तुगलक ने इसका निर्माण कार्य पूरा कराया था।

कुतुब मीनार को बनाने में कितना समय लगा

कुतुबमीनार का निर्माण कार्य कराने में काफी लंबा समय लगा था, क्योंकि इसमें कुतुबमीनार का स्तंभ रखने वाले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु इसके निर्माण कार्य प्रारंभ होने के समय ही हो गई थी। उसके पश्चात उनके दामाद ने इस कार्य को आगे बढ़ाया जिनका नाम इल्तुतमिश था इल्तुतमिश ने इसे तीसरी मंजिल तक बनवाया था। उसके पश्चात दिल्ली के शासक फिरोजशाह तुगलक ने इसका निर्माण कार्य कराया जिसे चौथी और पांचवी मंजिल के निर्माण का श्रेय जाता है।

इस प्रकार कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुबमीनार का 1193 ई में निर्माण कार्य प्रारंभ कराया था, तथा 1398 ईसवी में फिरोजशाह तुगलक ने इसको पूरा कराया। इस प्रकार देखा जाए तो काफी लंबे समय में कुतुबमीनार का निर्माण हो पाया कुतुब मीनार के निर्माण कार्य में कुल 205 वर्ष का समय लगा।

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कुतुब मीनार किसकी याद में बनाया गया 

क़ुतुब मीनार बनवाने का सपना कुतुबुद्दीन ऐबक ने देखा था कुतुबुद्दीन ऐबक का सपना था, कि वह जाम के मीनार की जैसी संरचना को अपने राज्य में बनवाना चाहता था, और उसने कुतुब मीनार के निर्माण की नींव रखी थी किंतु अभी कुतुबमीनार का ढांचा तैयार ही हो पाया था कि कुतुबुद्दीन ऐबक की की मृत्यु हो जाती है, और उसका निर्माण कार्य इल्तुतमिश और फिरोज़ शाह तुगलक द्वारा कराया गया, kutub minar को कुतुबुद्दीन ऐबक की याद में पूरा किया गया था।

इसलिए हम यह कह सकते हैं कि कुतुबुद्दीन ऐबक का सपना था कि जाम के मीनार को भारत में बनाना लेकिन उसकी मृत्यु के पश्चात उसके शासकों द्वारा इस कार्य को पूरा किया गया, जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक की याद में पूरा हुआ और उसके वंश के शासक इल्तुतमिश तथा फिरोज़ शाह तुगलक द्वारा कराया गया। 

कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है (Kutub Minar Ki Unchai Kitni Hai) 

कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है

प्रत्येक व्यक्ति कुतुबमीनार की ऊंचाई तथा लंबाई जानने की कोशिश करता है, क्योंकि यह दुनिया की ईट से बनी सबसे ऊंची इमारत है जिसे लाल पत्थर तथा मार्बल द्वारा बनाया गया था इसलिए लोग अक्सर यह सोचते रहते हैं कि kutub minar ki unchai kitni hai 13 मी सदी में कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा करवाया गया था। जो दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्थित है कुतुबमीनार 8 से बनी दुनिया के सबसे ऊंची इमारत है।

जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर अर्थात 238 फीट के लगभग है। कुतुबमीनार भारत का एक ऐतिहासिक स्थल है जिसको मुस्लिम शासकों द्वारा निर्माण कराया गया था, धरातल पर इसका व्यास 14.3 मीटर लगभग 45 फीट के बराबर है और चोटी पर इसका व्यास 2.7 मीटर लगभग 9 फीट के बराबर है। यह एक भव्य मीनार है जो बालू पत्थर तथा संगमरमर द्वारा निर्मित की गई है यह खूबसूरत मीनार है जिसमें कुरान की आयतें तथा फूलों द्वारा नक्काशी की गई है जिसकी सुंदरता बहुत मन को मोहक लगती है।

कुतुब मीनार में कितनी सीढ़ियां है

क़ुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है जो भी बालू पत्थर से बनी दुनिया की सबसे ऊंची मीनार है, तथा इसका धरातल का व्यास 45 फीट के लगभग है, तथा ऊंचाई पर यह 9 फीट के बराबर हो जाता है। कुतुबमीनार ने बहुत सारे भूकंप का सामना किया है, तथा उसे कई बार क्षती भी हुई है, लेकिन समय-समय पर उसकी मरम्मत कराई गई कुतुबमीनार में कुल 379 सीढ़ियां जल का प्रयोग कुतुब मीनार के ऊपर चढ़ने के लिए किया जाता है। किंतु वर्तमान समय में इसे बंद कर दिया गया है। 

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कुतुब मीनार कौन से राज्य में है

कुतुब मीनार कौन से राज्य में है

कुतुब मीनार का निर्माण ऐतिहासिक काल में भारत के वर्तमान समय में राजधानी क्षेत्र दिल्ली में किया गया था, उस समय वहां पर कुतुबुद्दीन ऐबक का शासन हुआ करता था, जिसने कुतुबमीनार का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया था बाद में 205 वर्ष पश्चात फिरोजशाह तुगलक द्वारा कुतुबमीनार का कार्य पूरा किया गया, और उसे कुतुब मीनार के नाम से जाना जाने लगा।

कुतुबमीनार भारत के दिल्ली राज्य के महरौली क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली वर्तमान समय में भारत की राजधानी है जहां पर कुतुबमीनार के अलावा विभिन्न प्रकार की अन्य प्राचीन स्मारक स्थल उपलब्ध है, जिनका अपना अलग एक इतिहास है और ऐतिहासिक दृष्टि से वह बहुत महत्वपूर्ण है।

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क़ुतुब मीनार से जुड़े रोचक तथ्य और रहस्य

  • कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर (238 फीट) है।
  • कुतुब मीनार के अंदर गोल आकर की बनी हुई 379 सीढियाँ है।
  • कुतुब मीनार कुल पांच मंजिल की मीनार है।
  • कुतुब मीनार ईंट की बनी हुई विश्व के सबसे सबसे ऊँची मीनार है।
  • कुतुब मीनार काम्प्लेक्स में स्थित लौह स्तम्भ 24 फीट ऊँचा और छह टन भारी है इसमें जंग नहीं लगती है। 
  • कुतुब मीनार को नमाज अदा करने की पुकार लगाने के उद्देश्य से बनाई गई थी।
  • इसका कुल व्यास आधार पर 14.3 मीटर (47 फ़ीट) है और शीर्ष पर इसका इसका व्यास घटकर 2.7 मीटर(9 फ़ीट) हो जाता है।
  • कुतुब मीनार के निर्माण से पहले यहाँ पर 27 हिन्दू और जैन मंदिर हुआ करते थे जिसे कुतुबुदीन ऐबक ने नष्ट करवा दिया था। 
  • कुतुब मीनार थोड़ा सा झुकी हुई है। 
  • कुतुब मीनार का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और मार्बल से हुई है। 
  • वर्ष 1505 ईस्वी में भूकंप के कारण कुतुब मीनार डैमेज हो गई थी फिर इसे सिकंदर लोदी मरम्मत करवाया गया था।
  • कुतुब मीनार का निर्माण पूरा होने में कुल 205 साल का समय लगा। 

निष्कर्ष

1193 में कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा प्रारंभ किया गया था तथा उसे बाद में फिरोजशाह तुगलक द्वारा 1398 ई में पूरा किया गया, जिसकी रूपरेखा कुतुबुद्दीन ऐबक ने जाम के मीनार से ली थी इसके पूर्व निर्माण में कुल 205 वर्ष का समय लगा, तथा इसकी लंबाई 238 फीट तथा धरातल पर इसका व्यास 45 फीट के लगभग है कि वही ऊंचाई पर जाने के पश्चात का व्यास 9 फीट ले जाता है। यह ऐतिहासिक काल की सबसे नया कलाकृति है जो मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा भारत को दी गई थी कुतुब मीनार दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्थित है, जहां पर मेट्रो तथा बस द्वारा बड़ी आसानी से जाया जा सकता है। कुतुब मीनार का निर्माण 3 चरणों में पूरा कराया गया था।

FAQ’s

कुतुब मीनार की लंबाई चौड़ाई कितनी है?

कुतुब मीनार की लंबाई 238 फीट तथा धरातल स्थल पर उसकी चौड़ाई 47 फीट व ऊंचाई में इसकी चौड़ाई मात्र 9 फिट रह जाती है। यह दुनिया की सबसे ऊंची ईट से बनी इमारत है जिसे ईट बलुआ पत्थर तथा संगमरमर द्वारा बनाया गया है।

कुतुब मीनार के कितने कमरे हैं?

कुतुबमीनार में कुरान की आयतें तथा फूलों द्वारा नक्काशी की गई है, तथा इसके खाने में आठ कोने वाले 4 कमरे हैं जिनमें इनके पूर्वजों के तथा शाही राजघराने की कब्रें हैं। 

कुतुब मीनार के नीचे क्या है?

जिस स्थान पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण कराया था वहां पर 27 हिंदू तथा जैन मंदिर से जिन्हें कुतुबुद्दीन ऐबक ने नष्ट करा दिया था, तथा वहां पर कुतुब मीनार का निर्माण करवाया था। कुतुब मीनार कंपलेक्स में इसके नीचे के हिस्से में कुवत-उल-इस्लाम की मस्जिद बनी है यह भारत में बनने वाली पहली मस्जिद थी।

कुतुबमीनार का राजा कौन है?

विभिन्न प्रकार के इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं कुछ लोगों का मानना है कि कुतुबमीनार राजा विक्रमादित्य द्वारा निर्मित एक स्तंभ है, जिसको उन्होंने सूर्य दर्शन के लिए बनाया था। किंतु बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपने नाम पर इसको कुतुब मीनार का नाम दे दिया तथा कुछ लोगों ने इसे कुतुबुद्दीन ऐबक के पश्चात अलग-अलग समय पर अलग-अलग राजाओं द्वारा बनाने का दावा किया है। 

क्या कुतुब मीनार में 7 मंजिल थे?

फिरोजशाह तुगलक द्वारा कुतुबमीनार का निर्माण 5 मंजिलों में कराया गया था, जिसमें ऊपर जाने के लिए 379 सीढ़ियां थीं तथा 1 मंजिल के चारों तरफ एक बालकनी थी। आधुनिक समय में ऊपर जाने के लिए सीड़ियों को बंद कर दिया गया है। फिरोजशाह तुगलक द्वारा मीनार के सिरे पर एक कपोल बनवाया गया था जो 1803 के भूकंप में नष्ट हो गया था।

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