पढ़ाई हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होता है, यदि हम पढ़ाई नहीं करते हैं तो हम अपने जीवन में कुछ करने के लायक नहीं होते हैं, क्योंकि आज के समय में प्रत्येक कार्य पढ़ाई पर निर्भर होता है। आज की दुनिया में किसी भी कार्य को करने के लिए पढ़े लिखे व्यक्ति की आवश्यकता होती है। इसलिए पढ़ाई हमारे जीवन का एक बहुत उपयोगी अंग माना जाता है, आने वाले वक्त में व्यक्ति जितना अच्छा पढ़ा- लिखा होता है, उसका जीवन उतना अधिक सफल माना जाता है, और उसका जीवन सफल होता भी है। इसलिए पढ़ाई प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी हो जाती है, लेकिन हमें से कुछ लोग तथा छोटे बच्चे अक्सर यह कहते रहते हैं, कि मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं इसके लिए आपको बहुत कुछ करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि यदि आपका पढ़ाई में मन नहीं लगता है, तो आप जीवन में कुछ भी नहीं कर सकते हैं, इसलिए पढ़ना बहुत ही आवश्यक हो गया है।
मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं
आपका या आपके बच्चे कहते है की मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं, और आप बहुत अधिक परेशान हैं, कि यदि आपका बच्चा अभी मन लगाकर पढ़ाई नहीं करेगा तो वह आगे चलकर कुछ नहीं कर पाएगा, अर्थात आपके बच्चे का पूरा जीवन आज की पढ़ाई पर निर्भर होता है। हम कह सकते हैं कि बचपन में हम किस तरह पढ़ाई में मेहनत करते हैं, या अच्छा पढ़ते हैं तो आगे चलकर हमें अपने जीवन को चलाने के लिए कम संघर्ष करना पड़ता है, तथा हम बड़े आसानी से अपना जीवन यापन कर लेते हैं। वही यदि हम बचपन में पढ़ाई के समय मन लगाकर नहीं पढते हैं, और हम पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं, तो जीवन को चलाने में हमें बहुत कठिनाइयां उठानी पड़ती हैं, और हमारा जीवन संघर्ष पूर्ण हो जाता है, इसलिए जीवन में पढ़ाई बहुत ही आवश्यक होती है।
आधुनिक समय कंपटीशन का जमाना है, इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ लोगों से आगे रहना या लोगों के साथ हाथ से हाथ मिला कर चलना भी बहुत जरूरी हो गया है। इसलिए आधुनिक समय में पढ़ाई में भी बहुत अधिक कंपटीशन हो गया है, यदि आप पढ़ाई में लोगों को बीट नहीं करते हैं, तो आप पीछे रह जाते हैं, और आपकी पढ़ाई का कोई मतलब नहीं होता है।
पढ़ाई के साथ-साथ हम padhai me man kaise lagaye इसकी भी जानकारी होना बहुत आवश्यक है, यदि हमारा पढ़ाई में मन नहीं लगता है, तो हम अन्य लोगों की तुलना में पीछे होते हैं। इसलिए लोगों के साथ चलने के लिए हमें मन लगाकर पढ़ाई करने की जरूरत होती है।
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पढ़ाई में मन न लगने का कारण क्या है?
आपने कहा में प्रत्येक मां बाप ने बच्चे को अच्छी शिक्षा तथा आगे बढ़ाना चाहते हैं, इसके लिए वे बचपन से ही बच्चों को पढ़ाई की तरफ मन लगाने के लिए कहते हैं, जिससे बच्चे अच्छी तरह से पढ़ाई करके अपने जीवन में कुछ कर सके। ऐसी परिस्थितियों में कुछ बच्चे तो बड़ी आसानी से अच्छी पढ़ाई करके अपने जीवन को सफल बनाते हैं, लेकिन उन्ही में से कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो मां-बाप तथा अध्यापक के लाख कहने पर भी पढ़ाई करने के लिए नहीं करते हैं।
ऐसे मां-बाप परेशान होकर यह जानने की कोशिश करते हैं, कि padhai me man kaise lagaye कि बच्चा अच्छी तरह से पढ़ाई करने लगे लेकिन कोई भी मां-बाप बच्चे की पढ़ाई में मन ना लगने का कारण जानने की कोशिश नहीं करते हैं। यही सबसे बड़ा कारण है, कि बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं इसलिए बच्चों की पढ़ाई अच्छी हो इसलिए उनको अच्छा माहौल देना चाहिए, और यदि बच्चे का मन नहीं लग रहा है तो उसके कारणों को जानने की कोशिश करनी चाहिए। यदि कोई बच्चा कह रहा है मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं तो मां-बाप को उसके कारण पूछने चाहिए, तथा जाने की कोशिश करनी चाहिए, कि बच्चा क्यों नहीं पढ़ पा रहा है, ऐसे ही कुछ काम निम्नलिखित हैं जिनके कारण बच्चे पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं। जो निम्नलिखित हैं
- मन का अशांत होना।
- अत्यधिक टीवी देखना।
- मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल।
- गलत संगति होना।
- शोर-शराबे का माहौल।
- पढ़ाई में रुचि ना होना।
- बहुत अधिक किताबों का होना।
- समान क्षेत्र के मित्र ना होना।
मन का अशांत होना
किसी बच्चे का मन अशांत है और वह पढ़ाई नहीं कर पा रहा है, तो मन का अशांत होना बच्चे के पढ़ाई पर बहुत बड़ा प्रभाव डाल देता है। इससे बच्चा इधर-उधर भटकता रहता है, अर्थात मन अशांत होने के कारण किसी एक बिंदु पर केंद्रित नहीं होता है, वह सभी चीजें एक साथ करने की कोशिश करता है।
किंतु सभी काम में वह विफल हो जाता है, क्योंकि उसका मन अशांत होने के कारण वह अपने मन को एक काम पर केंद्रित नहीं कर पाता है, इसी तरह यदि वह पढ़ाई भी करता है, तो मन अशांत होने के कारण उसके दिमाग में यह चलता है, कि यह भी पढ़ लिया जाए, वह भी पढ़ लिया जाए। इस तरह से वह सब कुछ पढ़ने की कोशिश करता है, लेकिन कुछ भी पढ़ने में सफल नहीं हो पाता है। इसलिए बच्चों के मन को शांत रखने के लिए उनको किसी मनोवैज्ञानिक या मेडिटेशन सलाह देनी चाहिए, जिससे उनका मन शांत रहेगा और उनका मन पढ़ने में लगे।
अत्यधिक टीवी देखना
जो बच्चे अत्यधिक टीवी या वीडियो देखते हैं, उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है, क्योंकि उनका ध्यान अधिकतर टीवी देखने की तरफ लगा रहता है। इसलिए जब वह पढ़ाई करने के लिए बैठते हैं, तो उनका मन एकाग्र नहीं हो पाता है, जिसके कारण उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता, और पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं।
बच्चों को अधिक टीवी और वीडियो नहीं देखना चाहिए छोटे बच्चों को टीवी और वीडियो देखना बहुत अधिक पसंद होता है और ज्यादातर बच्चे रातों दिन घर में जब रहते हैं तो टीवी देखते रहते हैं, इसलिए जब उनको पढ़ने के लिए कहा जाता है, तो उनका मन टीवी में नहीं लगा होता है। इसलिए आपको चाहिए कि जब बच्चे पढ़ रहे हो उस समय घर में टीवी में चलाएं और सभी लोग दूसरे काम करें इससे बच्चों का मन टीवी से हट जाएगा और उनका मन पढ़ाई में लगने लगेगा।
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मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल
आधुनिक समय में बच्चे मोबाइल में लगे रहते हैं, और कहते हैं मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं क्यों की मोबाइल में विभिन्न प्रकार के वीडियो तथा गेम खेलते रहते हैं, जिसके कारण उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है, इसलिए छोटे बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए, क्योंकि यदि आप उन्हें मोबाइल देते हैं, तो वह मोबाइल का प्रयोग करते रहते हैं और यदि आप उन्हें पढ़ने के लिए कहते हैं, तो उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है, क्योंकि उनका मन मोबाइल के तरफ बटा होता है। इसलिए वह पढ़ाई नहीं कर पाते हैं और जीवन में असफल रहते हैं।
बच्चों को सफल बनाने के लिए तथा उनकी पढ़ाई अच्छी हो सके इसके लिए बच्चों को बचपन से ही मोबाइल से दूर रखना चाहिए, और जब तक वह पढ़ लिखकर किसी काबिल नहीं बन जाते हैं, तब तक उनको मोबाइल नहीं देना चाहिए। आधुनिक समय में मोबाइल पढ़ाई में भी मदद करता है, लेकिन बच्चे उसका गलत प्रयोग करते हैं, पढ़ाई के अलावा मोबाइल से सारे काम करते रहते हैं।
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गलत संगति होना
समाज में कुछ बच्चे ऐसे होते हैं वह किसी की नहीं सुनते हैं, ना ही अपने मां-बाप की सुनते हैं, और न ही अपने अध्यापक की ऐसे बच्चे खुद भी नहीं पढ़ते हैं, और दूसरे बच्चों को भी पढ़ने नहीं देते हैं, क्योंकि ऐसे बच्चे किस संगत गलत होती है, तथा उनकी आदतें हैं चोरी करना झूठ बोलना गंदे काम करना ऐसे होते हैं। इसलिए यदि ऐसे बच्चों के साथ कोई नया बच्चा साथ करता है, तो उस बच्चे के लिए होते हैं उनके जैसे होने लगती हैं
जिसके कारण बच्चे का मन पढ़ाई लिखाई से हट जाता है, इसलिए यदि आपके बच्चे का मन पढ़ाई लिखाई में नहीं लग रहा है तो यह ध्यान देने की आवश्यकता है, कि कहीं वह गलत संगति मैं तो नहीं पड़ गया है, जिसके कारण वह गलत दिशा में जा रहा हो इससे बचने के लिए आप अपने बच्चे की मॉनिटरिंग करें उसे ऐसे बच्चों के साथ ना खेलने दे या जाने दे जिनकी आदतें खराब हो अपने बच्चों को खेलने तथा साथ के लिए कुछ ऐसे बच्चों का चयन करें जो पढ़ने लिखने में होशियार होता था, समाज में लोग उनको अच्छा मानते हो जिससे आपके बच्चे गए पढ़ने में मन लगाएंगे और उन अच्छे बच्चों की तरह बनने की कोशिश करेंगे।
शोर-शराबे का माहौल
आप किसी ऐसे स्थान रहते हैं जहां बहुत अधिक शोर शराबा होता रहता है, और वहां का माहौल शांत नहीं रहता है जिसके कारण आपके बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं। अर्थात पढ़ाई के लिए बिल्कुल शांत एकांत वाला स्थान की आवश्यकता होती है, जिससे कि बच्चे ठीक से बैठ कर पढ़ाई कर सकें।
किसी ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां पर बहुत शोर शराबा रहता है, तथा बिल्कुल भी शांति नहीं रहती है, ऐसा क्षेत्र में आपको सोचने की आवश्यकता है कि बच्चे padhai me man kaise lagaye उनके लिए आपको किसी शांत और शोर-शराबे से दूर वाले स्थान पर रहकर पढ़ाई की व्यवस्था करने की जरूरत होती है, क्योंकि यदि पढ़ाई के समय उनके दिमाग में या उनके कानों में शोर-शराबा सुनाई देता है, तो बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है। इसलिए यदि आप किसी ऐसे स्थान पर रहते हैं जहां पर बहुत अधिक शोर शराबा होता है, तो बच्चों को बंद कमरे में बैठकर पढ़ाई करने की सलाह दें जिससे वहां पर सुरसुरा बन्ना सुनाई दे और किस समय बच्चे पढ़ाई कर रहे हो उस समय घर में भी किसी प्रकार का शोर-शराबा या बातचीत ना करें इससे बच्चों का मन एकाग्र होकर पढ़ाई में लगता है।
पढ़ाई में रुचि ना होना
कुछ बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है क्योंकि जिस विद्यालय मैं पढ़ते हैं, उनका वहां पर मन नहीं लगता है अर्थात बच्चों को कुछ विशेष प्रकार के सब्जेक्ट पढ़ने के लिए कहा जाता है, अगर बच्चों को उन सब्जेक्ट पढ़ना पसंद नहीं होता है। बच्चों को पढ़ाई में मन नहीं लगता है, इसलिए बच्चों को जो पसंद हो वही सब्जेक्ट पढ़ने के लिए दिए जाएं अर्थ बच्चों को पढ़ाई से पहले उनको कौन कौन से सब्जेक्ट पसंद है उसकी जानकारी जरूर ले लेना चाहिए, हो सकता है बच्चे डॉक्टर बनने के लिए सोच रहे हो और आप उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई यदि आप कराते हैं, तो बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता। इसलिए बच्चों को उनको अपने इंटरेस्ट के हिसाब से पढ़ने दे उनको जबरदस्ती किसी भी सब्जेक्ट पढ़ने के लिए ना कहें।
बहुत अधिक किताबों का होना
लोग पढ़ाई करने के लिए विभिन्न प्रकार की किताबों का प्रयोग करते हैं, जिससे उन्हें सही जानकारी हो सके इसलिए एक ही सब्जेक्ट से संबंधित विभिन्न प्रकार के राइटर्स की किताबें पढ़ते हैं, इस कारण कभी-कभी वह कंफ्यूज हो जाते हैं की सही कौन है इस चक्कर में उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है। इसलिए कम से कम किताबों का प्रयोग करते हुए पढ़ाई करनी चाहिए, और पढ़ाई करने के लिए अपने हाथों द्वारा बनाए गए नोट्स का सहारा लेना चाहिए जिससे आपको पढ़ाई में मन लगेगा और आपको पढ़ाई करने में भी आसानी रहती है।
बहुत सारी किताबों को लेकर पढ़ाई करने बैठेंगे तो आपको सभी किताबें पढ़ने का मन होगा जिसके कारण आप कोई भी किताब सही से नहीं पढ़ पाएंगे। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि पढ़ाई के समय एक सब्जेक्ट से संबंधित कम से कम किताबें होनी चाहिए, जिससे आपका मन पढ़ाई में लगता है और आप विचलित नहीं होते हैं।
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समान क्षेत्र के मित्र ना होना
पढ़ाई करने में मित्र बड़ा सहयोग करते हैं मित्रों के सहयोग से पढ़ाई करने के कारण बच्चे बहुत अधिक ब्रिलियंट हो जाते हैं, इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के अच्छे मित्र होना बहुत ही आवश्यक होता है। मित्र अच्छे होने के साथ-साथ उसी क्षेत्र के हूं जिस क्षेत्र का आपका बच्चा हो अर्थात आपका बच्चा जो सब्जेक्ट पढ़ने में रुचि रखता हो उसके दोस्त भी उसी सब्जेक्ट को पढ़ते हैं, ऐसा होने के कारण बच्चे का इंटरेस्ट पढ़ाई में अधिक लगता है तथा वह अपने दोस्तों के साथ पढ़ाई कर सकता है, इसके अलावा कोई समस्या होने के पर वह अपने दोस्तों से मदद भी ले सकता है।
साथ ही साथ ग्रुप स्टडी में भी मित्रों से सहयोग मिलता है, इसलिए बच्चों का पढ़ाई में मन ना लगने का मुख्य कारण उसके समान क्षेत्र के मित्र ना होना भी हो सकता है, इसलिए यह ध्यान रखें कि बच्चे के ज्यादातर मित्र जो सब्जेक्ट या जो पढ़ाई पढ़ रहे हो वही सब्जेक्ट आप अपने बच्चे को भी पढ़ाएं, समाज से अलग अपने बच्चे को पढ़ाई करने के लिए ना तैयार करें क्योंकि ऐसी स्थिति में वह अलग से नहीं पढ़ सकता है, या फिर उसका मन पढ़ाई में विचलित हो सकता है।
Padhai Me Man Kaise Lagaye इसके उपाय
आधुनिक समय में प्रत्येक जिम्मेदार माता-पिता अपने बच्चों से परेशान हो जाता है, क्योंकि कोई बच्चों के फ्यूचर को लेकर बहुत चिंतित होते हैं। आधुनिक समय में बच्चे पढ़ाई लिखाई में ध्यान ना लगाकर इधर उधर की चीजों तथा खेलों में अधिक ध्यान लगाते हैं। इसलिए माता-पिता बहुत अधिक परेशान रहते हैं, क्योंकि उनको उनके भविष्य की चिंता रहती है, यदि इस समय बच्चा पढेगा नहीं तो उसका जीवन बर्बाद हो जाएगा, और वह जीवन में कुछ भी नहीं कर पाएगा। इसलिए जो बच्चे कहते हैं मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं उनके लिए आज इस लेख में विभिन्न प्रकार के तरीके बताए गए हैं, जिनको अपनाकर आप अच्छी पढ़ाई करते हुए अपनी मंजिल को पा सकते हैं तथा सफलता हासिल कर सकते हैं। पढ़ाई में मन लगाने का आसान तरीका निम्नलिखित है
- पढ़ाई के लिए एक सही टाइम टेबल बनाओ।
- Notes बनाकर पढें।
- पढ़ाई करने से पहले अपना मूड ठीक रखो।
- Group Study भी करे।
- पढ़ाई के दौरान ब्रेक लो।
- अपना लक्ष्य बनाएं।
- पढ़ाई में मन लगाने के लिए मैडिटेशन करो।
- सही field का चुनाव।
- पढ़ाई से जुड़े लक्ष्य को जानो।
- कुछ चीज़ों से दूर रहो।
पढ़ाई के लिए एक सही टाइम टेबल बनाओ
अक्सर ऐसा देखा गया है कि बच्चे बड़े जब मन होता है उनका तब पढ़ाई के लिए जाते हैं, ऐसे में केवल वे नाम करने के लिए पढ़ाई के लिए बैठते हैं, जबकि उनका मन पढ़ाई करने में नहीं लगता है। छोटे बच्चों और बड़ों को अक्सर यह कहते थे देखा गया है कि मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं? उनके लिए मैं बताना चाहूंगा कि सबसे पहले पढ़ाई का एक निश्चित समय निर्धारित करें, उस निश्चित समय में किस सब्जेक्ट को कितने समय के लिए पढ़ना है।
यह भी निश्चित करें आपका अपनी पढ़ाई के लिए टाइम टेबल बनाएं ,उसी के अनुसार पढ़ाई करें जैसे आप को यह लगेगा कि हमें केवल इतने समय ही पढ़ाई करना है, और उस समय आप मन लगाकर पढ़ाई करेंगे और यदि आप बिना टाइमटेबल के पढ़ाई करते हैं, तो आप कुछ समय के लिए ही पढ़ पाते हैं, जिससे आप पूरे सब्जेक्ट भी नहीं पढ़ पाते हैं, और आपका मन पढ़ाई से करता है, और आप पढ़ाई बंद करके दूसरे काम करने लगते हैं। इसलिए पहले से टाइम टेबल बनाकर निश्चित कर ले कि हमें कितने सब्जेक्ट इतने समय तक पढ़ने हैं, जिससे आपका पढ़ाई में मन लगा रहेगा आप आप अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं तो Notes बनाकर पढें
आधुनिक समय में जब एग्जाम टाइम आता है तब बच्चे पढ़ाई शुरू करते हैं, उस समय पढ़ाई के लिए उनके पास बाजार से खरीदे हुए शॉर्ट नोट लेते हैं, जिसमें उनको कुछ समझ में नहीं आता है क्योंकि उसने बड़े ही शार्ट में सब कुछ बताया गया होता है जिससे बच्चों के बहुत कम नंबर आते हैं, कि हमें और पढ़ाई करते समय दे उनका मन नहीं लगता, इसलिए एग्जाम में अच्छे नंबर पाने के लिए रेगुलर पढ़ाई करनी चाहिए तथा नोट्स अपने हाथों से बनाकर पढ़ना चाहिए।
यदि आप अपने हाथों से नोट्स बनाकर पढ़ते हैं तो आपको पढ़ने में बड़ी आसानी रहती है, और आपको सब कुछ बड़ी आसानी से समझ में भी आ जाता है, इसका मुख्य कारण होता है कि आपने नोट्स में जो भी लिखा होता है अपने हाथों से लिखा होता है, और लिखते समय आपने उसे पढ़कर लिखा होता है, इसलिए कौन सा आंसर किस जगह पर लिखा हुआ है, यह आपको बड़ी आसानी से समझ में आ जाता है, और आप उसे याद कर लेते हैं और आपको ऐसे नोट्स के साथ पढ़ने में इंटरेस्ट भी आता है।
पढ़ाई करने से पहले अपना मूड ठीक रखो
जब भी आप पढ़ाई करने के लिए बैठे हैं तो ध्यान रखें कि आप अपने मस्तिष्क को फ्री होकर पढ़ाई के लिए बैठे हैं। यदि आपके दिमाग में किसी प्रकार की मानसिक तनाव वाली बातें रहेंगे तो, आप मन पढ़ाई में नहीं लगता इसलिए अपने बच्चों में ध्यान रखें कि यदि उनका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है तो जानने की कोशिश करें कि उनको किसी प्रकार का मानसिक तनाव तो नहीं है। यदि उनको किसी प्रकार का मानसिक हो तो उनकी समस्या का समाधान करें और उनको फ्री होकर पढ़ने दे, इसलिए ध्यान रखें जब भी आपका भी पढ़ने के लिए बैठे हैं,
उससे पहले आप अपना मूड ठीक कर लें यदि आप किसी प्रकार से डिस्टर्ब है तो थोड़ी देर इधर-उधर टहलने, या दोस्तों से बातें कर ले या कहीं घूमने भी जा सकते हैं। जब आपका मूड सही हो जाए तब तसल्ली पूर्वक बैठकर आराम से पढ़ना चाहिए इससे आप का मन पढ़ाई में लगेगा और आपको पढ़ी हुई बातें अधिक समय तक याद भी रहेंगी।
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Group Study भी करे
आपका पढ़ाई में मन नहीं लगता है तो आपको ग्रुप स्टडी करनी चाहिए ग्रुप स्टडी में आप का मन पढ़ाई में लगने लगेगा, क्योंकि वहां पर आपके उम्र तथा लेवल के अन्य पढ़ाई करने वाले लोग हर लड़के होंगे जो आपकी तरह पढ़ाई कर रहे होंगे, अर्थात आप पढ़ाई करने के लिए अपने दोस्तों के साथ ग्रुप स्टडी कर सकते हैं।
इससे आपको विभिन्न प्रकार के फायदे होते हैं, सबसे पहला फायदा होता है कि आप अपने दोस्तों के साथ पढ़ाई करने में लगता है, और साथ ही साथ यदि आप किसी खेल में कंफ्यूज हो रहे हैं तो आप वहां पर अपने दोस्तों की मदद ले सकते हैं। साथ ही साथ ग्रुप स्टडी होने के कारण उसमें कंपटीशन होता है, जो यह दर्शाता है कि मैं इन से अधिक पढूगा जिसके कारण सभी और आगे निकलूंगा यही सोचा कि सभी के दिमाग में रहती है, तो सभी मन लगाकर पढ़ते हैं और जरूरत होने पर एक दूसरे का सहयोग भी करते हैं। इस तरह यदि आप का मन पढ़ाई में नहीं लगता है आप अपने दोस्तों के बीच ग्रुप स्टडी कर सकते हैं।
लेकिन ध्यान रहे कि ग्रुप स्टडी करते समय आप केवल पढ़ाई पर भी ध्यान दें अन्य किसी प्रकार की बातें ना करें और यदि आपके दोस्तों में से ऐसा कोई कर रहा हो तो उसे अगले दिन से पढ़ाई के समय आने के लिए ना कहें, क्योंकि यदि आप ग्रुप स्टडी के समय बातों में लगे रहते हैं, तो आपका समय पढ़ाई वाला बर्बाद हो जाएगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे, इसलिए ऐसे दोस्तों को ही ग्रुप स्टडी में शामिल करें जो पढ़ाई में ध्यान देते हो और पढ़ाई में अच्छे हो।
पढ़ाई के दौरान ब्रेक लो
क्या आप लगातार पढ़ाई करने की कोशिश करते हैं, तो आपका मन बोर हो जाता है जिसके कारण आप का मन पढ़ाई में नहीं लगता है। इसलिए पढ़ाई करते समय यदि आपने बीच-बीच में कुछ ब्रेक लेकर पढ़ाई की है तो आपका मन लगातार पढ़ाई में लगा रहता है। इसलिए पढ़ाई के दौरान थोड़ा ब्रेक लेना बहुत ही आवश्यक होता है, यदि आप लगातार 5 घंटे पढ़ रहे हैं तो प्रत्येक घंटे 5 मिनट का ब्रेक लेकर आप चाय पी सकते हैं, या फिर अपने घरवालों से बातें कर सकते हैं, या अपने दोस्त से बात कर सकते हैं, तथा अपना 5 मिनट के पश्चात फ्रेश होकर फिर से पढ़ाई शुरू करते हैं।
इस तरह से यदि आप पढ़ाई करते हैं तो निश्चित रूप से ही आपका मन लगाता पढ़ाई में लगा रहेगा। लेकिन यदि आप बिना पढ़े के लगातार पढ़ाई करने की कोशिश करते हैं, तो कुछ समय पश्चात ही आप बोर हो जाएंगे और आप का मन पढ़ाई से हट जाएगा, यदि आप अपने बच्चों को अपने सामने लगातार बैठाकर पढ़ाने की कोशिश करेंगे तो उनके साथ भी यही होता है, इसलिए यदि बच्चे लगाता पढ़ रहे हैं तो उनको थोड़ी देर बीच में ब्रेक देकर खेलने के लिए या कुछ करने के लिए कह सकते हैं।
अपना लक्ष्य बनाएं
प्रत्येक कार्य करने का एक टारगेट जरूर निश्चित करना चाहती है, क्योंकि यदि आपके पास कोई टारगेट होता है तो आप उसको अचीव करने की कोशिश करते हैं, तथा टारगेट को कितने समय में कैसे अचीव किया जाता है। यह यह प्लान आपके दिमाग में चलता रहता है इसलिए आपको अपनी पढ़ाई का एक लक्ष्य बनाना चाहिए, कि कितने चैप्टर आपको कितने दिन में समाप्त करने हैं या एक सब्जेक्ट को आप कितने दिन में पढ़ सकते हैं, जिससे आप तय समय पर पढ़ाई को पूरा करने की कोशिश करेंगे जिससे आपको पढ़ाई में इंटरेस्ट आएगा।
आपके सामने कोई टारगेट नहीं होगा कि कितने समय में क्या पढ़ना है, तो आप लगातार धीरे-धीरे बिना मन के पढ़ाई करते रहेंगे और जब एग्जाम आते हैं, तो आप एक साथ सभी सब्जेक्ट और सभी चैप्टर पढ़ना शुरू करते हैं जिससे आपको ना समझ में आता है और ना ही आप मन पढ़ने में लगता है। इसलिए पढ़ाई की शुरुआती समय से ही अपने प्रत्येक सब्जेक्ट तथा चैप्टर के लिए एक समय निश्चित करें और उस निश्चित समय में वह पढ़ाई पूरा करने की कोशिश करें जिससे आपका मन पढ़ने में लगा रहेगा, और समय से आपके पढ़ाई भी समाप्त हो जाती है।
पढ़ाई में मन लगाने के लिए मैडिटेशन करो
यदि आप पढ़ाई करना चाहते हैं और पढ़ लिखकर जीवन में कुछ करना चाहते हैं, और आप अपने आने वाले जीवन को सूखी बनाना चाहते हैं, लेकिन फिर आपका मन पढ़ाई में नहीं लगता है, पढ़ाई को लेकर बहुत अधिक परेशान रहते हैं, तो इसके लिए आपको मन को शांत करने वाले मेडिटेशन करने की आवश्यकता है। मेडिटेशन करने से आपका मस्तिष्क शांत हो जाएगा और आप का मन पढ़ाई में लगने लगेगा, जिससे आप पढ़ाई करके भविष्य में अपना करियर बना सकते हैं।
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि छोटे बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है, लाख प्रयास करने के पश्चात भी मां-बाप या खुद बच्चा पढ़ाई नहीं कर पाता है, ऐसी परिस्थितियों में बच्चे को योगा तथा मेडिटेशन द्वारा उसके मन को पढ़ाई की तरफ मोड़ा जा सकता है। इसलिए बच्चा जब पढ़ाई ना करें या बच्चे का मन पढ़ाई में ना लग रहा हो तो उसे मेडिटेशन कराएं, जिससे कुछ समय पश्चात बच्चे का मन पढ़ाई में लगने लगता है, और वह पढ़ लिख कर अपने जीवन में कुछ करने लायक तैयार हो जाता है।
मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं इसके लिए सही field का चुनाव
अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना जाता है कि बच्चों के लिए उनके मन के फील्ड में ही पढ़ाई कराने चाहिए लेकिन जब अपने बच्चे की बात आती है, तो सभी उसे डॉक्टर या इंजीनियर ही बनाना चाहते हैं। इस प्रकार सभी मां बाप अपने मर्जी के अनुसार अपने बच्चों को पढ़ाई में लगाते हैं, यदि बच्चे का मन डॉक्टर इंजीनियर बनने का नहीं होता है तो वह ऐसी फील्ड में पढ़ाई नहीं कर पाता है, जिसके परिणाम स्वरूप वह अपनी पढ़ाई में पीछे रह जाता है, और उसका मन पढ़ाई से हट जाता है, जिसके कारण वह अपने जीवन में कुछ करने में असफल हो जाता है।
इसलिए बच्चे का मन जिस फील्ड में हो उसी फील्ड की एजुकेशन बच्चे को कराना चाहिए जिससे बच्चे का मन पढ़ाई में लगता है, और वह अपने जीवन में सफल होता है। यदि आप बच्चे के इंटरेस्ट के हिसाब से उसको पढ़ाई नहीं करवाते हैं, तो वह पढ़ने से कतराता रहता है और उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता है। इसलिए मां-बाप को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा जो सब्जेक्ट पढ़ना चाहता हो उसे वही सब्जेक्ट पढ़ने दें।
पढ़ाई से जुड़े लक्ष्य को जानो
जब तक हमारा कोई लक्ष्य नहीं होता है तब तक हम मेहनत नहीं करते हैं, इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले उस कार्य को करने के पश्चात किस लक्ष्य पर पहुंचेंगे या निश्चित किया जाता है, यदि हम पढ़ाई कर रहे हैं और पढ़ाई करने के बाद हम उस पढ़ाई का क्या करेंगे इसका निर्धारण नहीं किया गया है, तो अक्सर करके बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है। इसलिए बच्चों को पढ़ाई के पश्चात क्या बनना है, और क्या करना है।
यह उनकी पढ़ाई प्रारंभ होने के पहले ही निर्धारण कर लेना चाहिए, जिससे बच्चे अपने लक्ष्य के अनुसार पढ़ाई करते हैं और लक्ष्य के अनुसार पढ़ाई करने में इंटरेस्ट आता है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि यदि हम इस तरह से पढ़ाई करेंगे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं, और यदि आपको किसी स्पेशल फील्ड के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो वह पहले से निर्धारित किया जाता है क्योंकि हमें उसे लक्ष्य के अनुसार ही पढ़ाई का चयन करना होता है और अच्छे से मन लगाकर पढ़ाई करनी होती है।
उदाहरण के लिए यदि आपको लगातार बढ़ते जा रहे हैं, और आपने हाई स्कूल इंटर कर लिया उसके पश्चात अचानक आपका इंटरेस्ट हुआ कि आप इंजीनियर बनना चाहते हैं, लेकिन जब आपने अपना प्री एजुकेशन देखा तो आपने इंटर में बायोलॉजी ले रखे हैं, जिसके कारण आप अब इंजीनियर नहीं बन सकते हैं, या फिर आपको इंटरमीडिएट की पढ़ाई दोबारा से करने की जरूरत हो सकती है। इसलिए यदि आपका लक्ष्य पहले से निर्धारित होता है तो आप उसी के अनुसार पढ़ाई करते हैं।
कुछ चीज़ों से दूर रहो
हमारे विद्यार्थी जीवन में कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो हमें पढ़ाई से डिस्ट्रेक्ट कर सकते हैं, मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं, और हम इधर उधर के काम करने लगते हैं। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बच्चे के आसपास के माहौल तथा वहां पर उपलब्ध चीजें व सुविधाएं बच्चे की पढ़ाई को डिस्ट्रेक्ट कर देती हैं, जिसके कारण बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है।
बच्चे का मन लगाकर पढ़ाई में लगा रहे और अच्छा पढ़ाई में अच्छा रहे जिससे वह अपने जीवन के निर्धारित लक्ष्य को पढ़ाई द्वारा प्राप्त कर सके, इसके लिए मां-बाप को यह ध्यान देना चाहिए कि बच्चे के आसपास का वातावरण पढ़ाई योग्य बनाना चाहिए। बच्चे के आसपास किसी प्रकार का ऐसा वातावरण नहीं होना चाहिए कि उसका मन पढ़ाई से हटकर दूसरी तरफ लग जाए और वह पढ़ाई से विचलित हो जाए। इसलिए घर के व्यक्तियों तथा मां-बाप को यह ध्यान रखना चाहिए कि पढ़ाई वाले स्थान पर ऐसी चीजें यह ऐसे काम ना करें कि बच्चे पढ़ाई से डिस्टर्ब हो जाएं।
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मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं तो पढ़ाई में ब्रिलियंट कैसे बने
आज के समय में पढ़ाई-लिखाई तथा अन्य प्रकार के कंपटीशन में ब्रिलियंट होने की आवश्यकता होती है। यदि आप आज के समय में कंपटीशन को फेस नहीं कर सकते हैं, तो आप पढ़ाई लिखाई कर के जीवन में कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इसलिए पढ़ाई लिखाई करने से ज्यादा जरूरी होता है की आधुनिक कंपटीशन के तरीके से अपने आप को तैयार करना इसके लिए आपके पास एक ब्रिलिएंट माइंड की आवश्यकता होती है। इसलिए पढ़ाई को इस तरीके से करें कि कम समय में अच्छी तैयारी की जा सके तथा प्रत्येक फील्ड में कंपटीशन लायक तैयार हुआ जा सके। पढ़ाई के दौरान ब्रिलियंट बनने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं
- पढ़ाई के समय डिस्ट्रेक्शन से दूर रहें।
- अपनी रूचि के अनुसार विषय तथा फील्ड को चुने।
- अपनी पढ़ाई में सभी प्रकार के आवश्यक चीजें आपके पास होने चाहिए।
- पढ़ाई के लिए एक स्ट्रेटजी तैयार करें।
- पढ़ाई के पश्चात आपको क्या करना है उसका लक्ष्य अभी से बनाकर रखें।
- पढ़ाई के समय टीवी मोबाइल लैपटॉप तथा गेम से दूर रहें।
- पढ़ाई से पहले सिलेबस को पूरी तरह से समझ ले।
- अच्छे मित्रों का चयन करें जो आपकी पढ़ाई में हेल्प कर सकें।
- पढ़ाई के लिए उपयुक्त जगह का चयन करें।
- घर में पढ़ाई लिखाई वाला माहौल बनाकर रखें।
- पढ़ाई के समय किसी प्रकार का बहाना ना बनाएं।
निष्कर्ष
आधुनिक समय में जीवन को सफल बनाने तथा रोटी कपड़ा मकान के लिए पढ़ाई बहुत आवश्यक हो गई है, पढ़ाई के साथ साथ टेक्निकल तथा स्पेशल नॉलेज भी होना बहुत जरूरी है। इसलिए आज के समय में पढ़ाई को बहुत अधिक अनिवार्यता दी जाती है, जिससे बच्चा आगे चलकर अपने जीवन में सफल हो सके बहुत सारे बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है, ऐसे में उनको जानने की इच्छा होती है कि मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं उनके लिए उपरोक्त लेख में विभिन्न प्रकार के तरीके तथा उपाय बताए गए हैं, जिनके द्वारा पढ़ाई करने के तरीके बदल कर आप अपना मन पढ़ाई में लगा सकते हैं, और अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। यदि आप मन लगाकर पढ़ते हैं और आधुनिक कंपटीशन को बीट करने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो निश्चित ही आप अपने जीवन में सफलता पाते हैं, और अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बनाते हुए अपने मां-बाप तथा अपने परिवार का नाम रोशन करते हैं, तथा अपने जीवन में खुशहाली पूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं, ऐसे में प्रत्येक बच्चे को चाहिए कि वह मन लगाकर पढ़े और अपने जीवन को सफल बनाएं।
अक्सर पूछे गए सवाल
पढ़ाई में दिमाग नहीं लगे तो क्या करें?
आधुनिक समय में बहुत सारे ऐसे बच्चे जो यह कहते रहते हैं कि मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगता क्या करूं इसके लिए उनको अपने घर तथा आसपास के माहौल को पढ़ाई के हिसाब से बनाना चाहिए, तथा अपने मन के हिसाब से ही पढ़ाई करनी चाहिए। पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेना चाहिए, तथा इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए आपको उपरोक्त लेख के अध्ययन की आवश्यकता है। जिसमें पढ़ाई में मन लगने के सभी तरीके बताए गए हैं जिसके अनशन के पश्चात यदि आप उन तरीकों को अपनाते हैं हम निश्चित रूप से आप का मन पढ़ाई में लगने लगेगा।
पढ़ाई में मन न लगने का कारण क्या है?
यदि आपका मन किसी कारण पढ़ाई में नहीं लगता है, तो निश्चित रूप से ही आप आगे आने वाले समय में पीछे रह जाएंगे क्योंकि यदि आप इस समय पढ़ाई नहीं करते हैं, तो आप दुनिया में कंपटीशन करने लायक नहीं तैयार हो सकते हैं। इसलिए अभी पढ़ाई करना बहुत जरूरी होता है यदि आप का मन पढ़ाई में नहीं लगता है, तो आपके आसपास पढ़ाई में मन ना लगने वाले निम्नलिखित कारणों को दूर रखना चाहिए।
- मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल।
- गलत संगति होना।
- शोर-शराबे का माहौल।
- पढ़ाई में रुचि ना होना।
यदि आप को उपरोक्त कारणों से दूर रहते हैं तो निश्चित से ही आप का मन पढ़ाई में लगेगा और आप का जीवन सफल रहेगा।
एक बार पढ़ते ही याद कैसे करें?
यदि आप एक बार पढ़ते हैं किसी चीज को याद करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको अपने मस्तिष्क को शांत रखने की आवश्यकता है, तथा एकाग्र चित्त होकर किसी भी चीज को पढ़ने की आवश्यकता होती है। यदि आप शांत और एकाग्र चित्त होकर किसी भी चीज को एक बार पढ़ते हैं तो वह बड़ी आसानी से याद हो जाती है, और पढ़ने के साथ-साथ उसे समझने की भी आवश्यकता होती है, जिससे वह आपको पूरे जीवन याद रहेगी और आप उसे भूलेंगे नहीं।
किसी भी चीज को रटने की पद्धति से नहीं पड़ना चाहिए, प्रत्येक लिखी हुई चीज को समझ कर पढ़ना चाहिए। समझ कर पढ़ने के पश्चात आप उसे याद कर लेंगे और वह हमेशा के लिए याद रहेगी, इसलिए किसी भी चीज को याद करने के लिए उसे एकाग्र चित्त होकर पढ़ने की आवश्यकता है तथा पढ़ने के बाद समझने की आवश्यकता होती है।