भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक देश है, जिसमें किसी भी राजनीतिक व्यक्ति का चयन चुनाव द्वारा किया जाता है इसलिए भारत में मतदान कैसे करें इसकी जानकारी आवश्यक है। भारत में ग्रामीण क्षेत्र के ग्राम प्रधान से लेकर राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री का चयन चुनाव द्वारा किया जाता है। भारत में रह रहे भारत के प्रत्येक नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है उसको मतदान करने का अधिकार प्राप्त होता है। भारत की नागरिकता रखते हुए वहां 18 साल की उम्र पूरा करने के पश्चात अपना मतदान किसी भी दल के नेता को कर सकता है।
जिसको वह चुनना चाहता है, प्रत्येक भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है, तथा उसका नाम राष्ट्रीय मतदाता सूची में शामिल है, वह प्रत्येक 5 वर्ष पश्चात अपने देश के प्रधानमंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा नगर व ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव होने पर अपना वोट डाल सकता है, तथा चुनाव प्रक्रिया में भाग ले सकता है। इसके लिए आज हम आपको भारत में मतदान कैसे करें तथा मतदान के लिए जरूरी पात्रता व शर्तों की जानकारी देंगे जिसके द्वारा आप को भारतीय चुनाव में मतदान करना आसान हो जाएगा।
मतदान क्या है
किसी भी लोकतंत्रात्मक देश का आधार मतदान होता है। मतदान के अधिकार द्वारा प्रत्येक नागरिक अपने मत का प्रयोग करते हुए उम्मीदवार प्रतिनिधि में से किसी को भी अपना प्रतिनिधि चुन सकता है। इसलिए मतदान लोकतंत्रात्मक देशों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, देश के 18 वर्ष पूरी कर चुके किसी भी नागरिक को अपने मत द्वारा अपने प्रतिनिधि का चुनाव करने को मतदान कहते हैं। मतदान प्राप्त करने के पश्चात अधिक मतों से जीतकर जो प्रत्याशी सांसद या विधायक बनता है, वह लोगों के लिए कानून बनाने का अधिकार प्राप्त कर लेता है। लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि द्वारा बनाया गया कानून प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करता है, तथा इसी कानून द्वारा देश तथा प्रदेश में सरकार तथा प्रशासन चलाई जाती है।
मतदान की आवश्यकता
भारत देश लोकतंत्रात्मक देश है, जहां पर मतदान के द्वारा राजनीतिक दलों के नेताओं का चुनाव देश की सरकार चलाने के लिए किया जाता है। मतदान के द्वारा सभी प्रत्याशियों में जनता द्वारा प्राप्त सबसे अधिक वोट पाकर चुने गए प्रत्याशी को जनप्रतिनिधि माना जाता है, अर्थात जिस व्यक्ति को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, वह व्यक्ति भारतीय नागरिकों का जनप्रतिनिधि माना जाता है, भारत में मतदान कैसे करें इसकी जो देश के विकास तथा देश के नागरिकों के विकास के हित के लिए कार्य करता है, तथा देश के नागरिकों के हित के लिए कानून व्यवस्था के साथ-साथ अन्य सारी व्यवस्थाएं बनाने का कार्य करता है, जो देश के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक के विकास के हित में होती हैं।
मतदान होने के पश्चात सभी माताओं को एकत्र करके मतों की गणना की जाती है, जिसे हम मतगणना कहते हैं। मतगणना में जिस भी प्रत्याशी को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, वह उस क्षेत्र व उस पद के लिए चयनित किया जाता है, जो भारतीय नागरिकों का जनप्रतिनिधि बन कर कानून बनाने तथा कानून में बदलाव करने का अधिकार प्राप्त करता है। जिससे देश के सभी प्रकार की व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती रहती हैं, तथा कानून व्यवस्था मजबूत बनी रहती है।
मतदान के लिए पात्रता
भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार प्राप्त है, जिसके द्वारा वे अपने प्रतिनिधि का चुनाव करने के लिए स्वतंत्र होते हैं, किंतु भारतीय चुनाव आयोग द्वारा प्रत्येक नागरिक के पास कुछ निश्चित पात्रता में होना अनिवार्य है, जिसके पश्चात भी भारतीय नागरिक अपने मत का प्रयोग कर सकता है। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा तय की गई मतदान के लिए सभी पात्रताए पूरा करने के पश्चात प्रत्येक व्यक्ति अपना मत करने के लिए स्वतंत्र होता है, तथा उसे मतदान करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त होता है। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा तय की गई पात्रता निम्नलिखित है
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- 18 वर्ष से अधिक उम्र होनी चाहिए।
- मतदाता सूची में नाम होना चाहिए।
- मतदाता पहचान पत्र होना चाहिए।
भारत का नागरिक होना चाहिए
भारत का संविधान एकल नागरिकता के लिए सभी को समान रूप से भारतीय नागरिक होने का संवैधानिक अधिकार प्रदान करता है। ऐसे व्यक्ति जो नागरिकता अधिनियम 1955 लागू होने के समय भारत में निवास करते थे, उसके पश्चात रह रहे मां बाप द्वारा भारत में पैदा हुए, या फिर 5 वर्षों तक लगातार भारत का नागरिक रहते हैं, भारत की नागरिकता प्राप्त की नागरिकता प्राप्त करता है, वह सभी भारतीय नागरिक माने जाते हैं।
ऐसे व्यक्ति जो भारतीय नागरिकता की पात्रता को पूरा करते हैं, उन्हें हम भारतीय नागरिक कहते हैं। प्रत्येक भारतीय नागरिक को मतदान करने का अधिकार प्राप्त है, इसलिए यदि आप भारतीय नागरिक हैं, और आप उपरोक्त नियम व शर्तों को पूरा करते हैं, तो आप मतदान करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त करते हैं, तथा आप मतदान के समय अपने जनप्रतिनिधि को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, तथा आप अपने जनप्रतिनिधि को चुनने के लिए अपना मत डाल सकते हैं।
18 वर्ष से अधिक उम्र होनी चाहिए
61 वें संविधान संशोधन 6 दिसंबर 1989 के पश्चात यह निर्धारित किया गया कि जो भारतीय नागरिक हैं, और उनकी आयु 18 वर्ष से अधिक ही 18 वर्ष हो गई है वह मतदान करने के लिए स्वतंत्र हैं, तथा वे भारतीय संविधान द्वारा मतदान करने का अधिकार प्राप्त करते हैं। 61 वें संविधान संशोधन के पूर्व मतदान करने की आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई थी, किंतु संविधान संशोधन के पश्चात यह माना गया कि व्यक्ति जब 18 वर्ष में वयस्क हो जाता है, तो वह अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकता है, तथा तरफ से मतदान करने की आयु 18 वर्ष निर्धारित किया गया है। अतः जिन व्यक्तियों की आयोग 18 वर्ष या उससे अधिक है, वह भारत में मतदान करने के समय अपने जनप्रतिनिधि को चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं तथा वोटिंग के समय वह अपना वोट डाल सकते हैं।
मतदाता सूची में नाम होना चाहिए
भारत सरकार द्वारा मतदान करने वाले मतदाताओं की एक सूची तैयार की गई है, जो भारतीय मतदाता होने का रिकॉर्ड होता है, जो व्यक्ति 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेते हैं, उनका नाम समय-समय पर होने वाले संशोधन के दौरान मतदाता सूची में शामिल कर दिया जाता है। मतदाता सूची में नाम होना मतदान करने के लिए सबसे प्राथमिक पात्रता होती है, यदि आपका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं है, तो आप मतदान करने के अधिकारी नहीं होते हैं।
मतदान करने के लिए आपका नाम मतदाता सूची में होना अनिवार्य होता है, जो आपको संवैधानिक रूप से मतदाता होने का अधिकार प्रदान करता है। यदि आपका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं है, और आप ने 18 वर्ष की आयु पूरा कर ली है तो आप अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करवा सकते हैं, और यदि आपका नाम अभी तक शामिल नहीं हुआ है और आपने 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली है, तो आप मतदान करने का अधिकार प्राप्त नहीं करते हैं, इसलिए मतदाता सूची में नाम शामिल कराना मतदान करने के लिए बहुत ही आवश्यक होता है।
मतदाता पहचान पत्र होना चाहिए
भारत में मतदान कैसे करें इसके लिए प्रत्येक भारतीय मतदाता को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा एक मतदाता पहचान पत्र जारी किया जाता है, जिसके द्वारा मतदान के समय मतदाता की पहचान की जाती है। इसलिए ही प्रत्येक मतदाता के पास एक मतदाता पहचान पत्र होता है, जिसे दिखाकर मतदाता मतदान डाल सकता है।आधुनिक समय में वोटिंग करते समय पहचान पत्र के रूप में मतदाता पहचान प्रमाण पत्र के साथ साथ आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या फिर सरकार द्वारा जारी किया गया कोई पहचान पत्र भी पहचान के लिए स्वीकार किए जाते हैं। यदि आपके पास मतदाता पहचान पत्र नहीं है, तो आप उपरोक्त बताए गए किसी एक प्रमाण पत्र के साथ जाकर अपना मतदान कर सकते हैं, किंतु मतदाता पहचान पत्र आपके मतदाता होने का संवैधानिक अधिकार प्रदान करता है।
मतदान की विधियां
प्राचीन काल में विभिन्न प्रकार के मतदान की विधियां अपनाई जाती थी जिसमें जनसभा में एक-एक करके राय लेना तथा प्रत्यक्ष हाथ उठाकर या हां कह कर मत देना आदि विधियां शामिल थी, तथा कुछ समय पश्चात बदलाव होने के बाद चुनाव आयोग का गठन किया गया जिसमें राज्य चुनाव आयोग तथा भारतीय चुनाव आयोग दो प्रकार की इकाइयों का गठन किया गया, जिसमें राज्य चुनाव आयोग भारत के किसी भी राज्य में होने वाले चुनाव का कार्यभार संभालते हैं, तथा भारतीय चुनाव आयोग राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले चुनाव का कार्यभार संभालते हैं।
आजादी के समय तथा उसके पश्चात चुनाव के लिए बैलट पेपर का प्रयोग किया जाता था, जिसमें प्रत्येक प्रत्याशी के चुनाव चिन्ह तथा उनके नाम होते थे, जिसके सामने वोटर वोटिंग के समय दी गई मोहर लगाकर मतदान प्रदान करता था। किंतु आधुनिक समय में मैनुअल तरीके से वोटिंग ना करा कर वोटिंग मशीन का सहारा लिया जाता है, जिसमें वोटिंग मशीन में सभी प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह तथा उनके नाम होते हैं, जिसके सामने वोटिंग का बटन दबाकर मत प्रदान किया जाता है। अतः वर्तमान समय में दो प्रकार के चुनाव विधियों द्वारा चुनाव कराया जाता है
- बैलट पेपर द्वारा।
- वोटिंग मशीन द्वारा।
भारत में मतदान कैसे करें
भारत में मतदान कैसे करें तथा मतदान का प्रयोग शहरी तथा ग्रामीण स्तर के नगरपति तथा ग्राम प्रधान से लेकर देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए मतदान का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातंत्रात्मक देश है, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र के जनप्रतिनिधि का चुनाव भारतीय नागरिकों के मत के द्वारा किया जाता है। भारतीय नागरिकों द्वारा प्राप्त मत के पश्चात जिस प्रतिनिधि को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, वह जनप्रतिनिधि घोषित किया जाता है, तथा वह जनता के लिए सरकार तथा कानून बनाने का अधिकार प्राप्त कर लेता है। भारत में मतदान करने के निम्नलिखित तरीके हैं
- बैलट पेपर द्वारा।
- वोटिंग मशीन द्वारा।
बैलट पेपर द्वारा
भारत में 2004 से पूर्व होने वाले सभी प्रकार के चुनाव को बैलट पेपर द्वारा कराया जाता था, बैलट पेपर कागज का एक बैलट पेपर होता है, जिसमें सभी पार्टियों के चुनाव चिन्ह तथा नाम लिखे होते हैं, जिसके सामने मतदाता, मतदान में प्रयोग की जाने वाली स्टाम्प या मोहर लगाकर अपना मत देता था। मतदाता को जिस पार्टी या व्यक्ति को मतदान करना होता है उसी के सामने बनी जगह पर मतदाता मतदान में प्रयोग की जाने वाली मोहर लगाता है, तथा उस बैलट पेपर को वहां पर रखे एक बॉक्स जिससे बैलट बॉक्स कहते हैं, भारत में मतदान कैसे करें उसमें डाल देता है।
इस प्रकार सभी मतदाताओं के बैलट पेपर एकत्रित किए जाते हैं, तथा उसके पश्चात सभी बैलट पेपर की गणना होती है, जिसे हम मतगणना के नाम से जानते हैं। मतगणना में जिस प्रत्याशी के बैलट पेपर अधिक होते हैं, उसे विजय घोषित किया जाता है, तथा उसे उस चुनाव में जनता का प्रतिनिधि घोषित किया जाता है। बैलट पेपर द्वारा मतदान करने के लिए निम्नलिखित स्टेप अपनाए जाते हैं
बैलट पेपर द्वारा वोटिंग करने का तरीका
- मतदान करने के लिए आपको आपके क्षेत्र में बने मतदान केंद्र में जाना होता है।
- मतदान केंद्र पहुंचने पर आपको अपनी पहचान मतदाता अधिकारी को बतानी होती है।
- मतदान अधिकारी सबसे पहले आपके बताए गए हैं पहचान को उनके पास उपलब्ध वोटर लिस्ट से मिलान करता है।
- आपका नाम वोटर लिस्ट में उपलब्ध होने के पश्चात आपसे पहचान प्रमाण पत्र के लिए एक आईडी मांगी जाती है।
- पहचान के लिए आप वोटर आईडी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, बैंक पासबुक आदि में से कोई एक दिखा सकते हैं।
- आपकी पहचान सत्यापित होने के पश्चात मतदान अधिकारी आपकी उंगली पर स्याही लगाते हैं तथा आपसे फॉर्म 17A पर साइन करवाते हैं।
- इसके पश्चात पीठासीन अधिकारी आपकी उंगली में इंक का निशान देखकर आपको साइन किया हुआ बैलट पेपर प्रदान करते हैं।
- इसके पश्चात आप वोटिंग बूथ के अंदर जाकर उसे पायलट पेपर में अपने प्रत्याशी के चुनाव चिन्ह के सामने चुनाव में प्रयोग की जाने वाली मोहर का निशान लगाते हैं।
- निशान लगाने के पश्चात वहां पर रखे बैलट बॉक्स में बैलट पेपर को डालकर वापस आ जाते हैं।
- किस प्रकार बैलट पेपर द्वारा आपकी मतदान प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
वोटिंग मशीन द्वारा
भारत में 2004 से पूर्व सभी प्रकार के चुनाव मैनुअल तरीके से बैलट पेपर से होते थे, किंतु 2004 के पश्चात राज्यसभा तथा लोकसभा के सभी चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन जिससे ईवीएम के नाम से भी जानते हैं, के द्वारा कराए जाने लगे इसमें बैलट पेपर का प्रयोग नहीं होता है, तथा इलेक्ट्रॉनिक विधि द्वारा मशीन से चुनाव कराने पर चुनाव शीघ्र कराया जा सकता है, तथा इसके मतगणना करने में आसानी होती है। वैसे तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का पहली बार इस्तेमाल 1982 में केरल के 70-पारुर विधानसभा क्षेत्र में किया गया था, जिसका निर्माण 1980 में “एम बी हनीफा” के द्वारा किया गया था, किंतु सरकारों द्वारा इसे 2004 में राज्यसभा तथा लोकसभा चुनाव के लिए प्रयोग किया जाने लगा। अब भी छोटे स्तर पर चुनाव कराने के लिए बैलट पेपर का ही प्रयोग किया जाता है।
किंतु इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में मतों की मतगणना करने में बड़ी आसानी होती है, तथा इसमें बैलट पेपर का प्रयोग ना होने के कारण पेपर की बचत होती है, जिससे बहुत अधिक कागज बचाया जा सकता है। वोटिंग मशीन को दो भागों में विभाजित किया जाता है, जिससे वोटिंग मशीन तथा वोटिंग मशीन नियंत्रण इकाई अलग-अलग 2 भाग होते हैं, जिन्हें एक केबल द्वारा जोड़ा जाता है। वोटिंग मशीन का प्रयोग मतदाता करता है, तथा नियंत्रण इकाई का प्रयोग पीठासीन अधिकारी द्वारा वोट डालने के लिए आदेश के रूप में किया जाता है। वोटिंग मशीन द्वारा मतदान करने के लिए निम्नलिखित स्टेप अपनाए जाते हैं
मशीन द्वारा वोटिंग का तरीका
- मतदान करने के लिए आपको आपके क्षेत्र में बने मतदान केंद्र में जाना होता है।
- मतदान केंद्र पहुंचने पर आपको अपनी पहचान मतदाता अधिकारी को बतानी होती है।
- मतदान अधिकारी सबसे पहले आपके बताए गए हैं पहचान को उनके पास उपलब्ध वोटर लिस्ट से मिलान करता है।
- आपका नाम वोटर लिस्ट में उपलब्ध होने के पश्चात आपसे पहचान प्रमाण पत्र के लिए एक आईडी मांगी जाती है।
- पहचान के लिए आप वोटर आईडी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, बैंक पासबुक आदि में से कोई एक दिखा सकते हैं।
- आपकी पहचान सत्यापित होने के पश्चात मतदान अधिकारी आपकी उंगली पर स्याही लगाते हैं तथा आपसे फॉर्म 17A पर साइन करवाते हैं।
- इसके पश्चात पीठासीन अधिकारी मशीन की नियंत्रण इकाई द्वारा वोटिंग करने का आदेश देते हैं।
- पोलिंग बूथ के अंदर रखी हुई वोटिंग मशीन द्वारा आप अपने प्रत्याशी के सामने बटन दबाकर मतदान कर सकते हैं।
- मतदान करने के समय जिस प्रत्याशी को आप वोट देते हैं उसका चुनाव चिन्ह 7 सेकंड के लिए वोटिंग मशीन पर बने डिस्प्ले में दिखाई देता है।
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में NOTA का बटन होता है इसका प्रयोग किसी भी प्रत्याशी को ना चुना जाए के लिए किया जाता है।
- वोटिंग होने के पश्चात मतों की मतगणना वोटिंग मशीन द्वारा की जाती है तथा जीते हुए प्रत्याशी को जनप्रतिनिधि घोषित किया जाता है।
मतदान का महत्व
भारत एक लोकतंत्रात्मक इकाई है, यहां पर प्रत्येक नागरिक का अपना एक महत्व होता है, क्योंकि सरकार चला रहा प्रत्येक जनप्रतिनिधि जनता द्वारा चुना जाता है, जो जनता के लिए ही कार्य करता है। भारत में लोकतंत्र होने के कारण शासन व्यवस्था तथा जनता और सरकार के बीच समन्वय स्थित है, जिससे आपसी सामंजस्य बना हुआ है। भारत में मतदान का बहुत बड़ा महत्व है, मतदान द्वारा प्रत्येक भारतीय नागरिक को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त होते हैं।
- नागरिकों द्वारा किये गए मतदान के द्वारा चुने प्रतिनिधियों के माध्यम से ही शासन में जनता की भागीदारी होती है।
- यह सभी प्रतिनिधि अपनी जनता की समस्याओं, मांगों और उनके हितों का ध्यान रखते है।
- मतदान से नागरिको में राजनीतिक चेतना जागृत होती है।
- मताधिकार के कारण ही सरकार और जनता के बीच सामंजस्य उत्पन्न होता है, जिससे शासन व्यवस्था में कार्यकुशलता आती है।
- वयस्क मताधिकार के कारण ही सरकार को संवैधानिक आधार प्राप्त होता है।
- मतदान के द्वारा मतदाता सरकार बदलने की शक्ति रखता है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस
भारत में मताधिकार को याद दिलाने तथा उसके महत्व को समझाने के लिए प्रत्येक वर्ष 25 फरवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोगों को उनके मताधिकार तथा उनके मतदान के महत्व को बताया जाता है। 26 जनवरी 1950 से भारत में संविधान लागू हुआ, तब से भारत एक लोकतंत्रात्मक देश के रूप में विश्व में माना जाता है,
किंतु तब से लेकर अब तक प्रत्येक चुनाव में वोटरों की संख्या तथा प्रतिशत घटता जा रहा है, क्योंकि लोगों का रुझान मतदान देने की तरफ नहीं होता है, इसलिए कम से कम लोग ही मतदान करने जाते हैं, इस को बढ़ावा देने के लिए भारत के गणतंत्र की 61 वी वर्षगांठ के रूप में 25 जनवरी 2011 को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया गया, जो भारत के राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल द्वारा घोषित किया गया था. तब से लेकर आज तक हम प्रत्येक साल 25 जनवरी को मतदाता दिवस के रूप में मनाते हैं।
निष्कर्ष
भारत विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक देश है जो चीन के बाद विश्व में जनसंख्या के रूप में दूसरा स्थान रखता है, जिसके कारण भारत में वोटरों की संख्या बहुत है। ऐसी स्थिति में लोकतंत्र होने के कारण भारत के प्रत्येक राजनैतिक जनप्रतिनिधि का चुनाव भारतीय नागरिकों द्वारा किया जाता है, जो एक व्यवस्था के तहत होता है, जिसे हम चुनाव कहते हैं। चुनाव में किसी पद के लिए चयनित उम्मीदवार उस पद के लिए चुनाव लड़ते हैं, तथा जनता द्वारा वोट देकर उम्मीदवारों को चयनित किया जाता है।
जनता के द्वारा चुना गया उम्मीदवार जनता का जन प्रतिनिधि बनकर उस पद के लिए जाता है, जो जनता के अधिकारों तथा उसके विकास के लिए कार्य करता है, तथा जनता की भलाई को देखते हुए वह जनप्रतिनिधि कानून तथा संविधान को बदलने का अधिकार प्राप्त करता है। इसलिए भारत में मतदान कैसे करें इसकी जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है, जिससे आप सही जनप्रतिनिधि उम्मीदवार को चुन सके और देश की विकास तथा शासन व्यवस्था सामान्य अवस्था में बनी रहे।
लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्न
भारत में मतदान कौन कर सकता है?
भारत का प्रत्येक नागरिक जिसकी उम्र 18 साल हो गया उससे अधिक है, तथा उसका नाम भारत सरकार द्वारा तैयार की गई वोटर लिस्ट में है, तो वह व्यक्ति वोट डाल सकता है। मतदान करने के लिए उसे मतदान केंद्र में किसी विशेष प्रकार जिसमें आधार कार्ड पहचान पत्र तथा वोटर आईडी कार्ड में से किसी एक को लेकर जाने की आवश्यकता होती है, और वहां पर अपने पसंदीदा कैंडिडेट को मतदान कर सकता है मतदान करने के लिए सरकार द्वारा तैयार की गई वोटर लिस्ट में नाम होना बहुत ही आवश्यक है।
आपके पास वोटर आईडी नहीं है तो सबसे पहले क्या करें?
आपके पास वोटर आईडी नहीं है, तो सबसे पहले आपको अपना नाम होटल लिस्ट में रजिस्टर्ड कराने की आवश्यकता है। वोटर लिस्ट में अपना नाम रजिस्टर्ड करवाने के लिए आपको फॉर्म-6 भरने की आवश्यकता है, फॉर्म-6 भरने के पश्चात अपने क्षेत्र के इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर के पास जमा करने की आवश्यकता होती है। जिसके पश्चात आपका नाम आपके क्षेत्र की वोटर लिस्ट में जुड़ जाता है, तथा आप वोट डालने के अधिकारी हो जाते हैं।
अगर आपके पास वोटर आईडी नहीं है तो कौन से दस्तावेज वोट डालने के लिए जरूरी हैं?
वोट डालने के लिए पहचान पत्र के रूप में वोटर आईडी का प्रयोग किया जाता है, यदि आपके पास वोटर आईडी कार्ड नहीं है, तो आप सरकार द्वारा जारी किए गए पहचान पत्र में से कोई एक ले जा सकते हैं, जिसमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक द्वारा जारी की गई पासबुक, सरकार द्वारा जारी किया गया कोई अन्य सरकारी पहचान पत्र के माध्यम से आप वोट डाल सकते हैं।
भारत में किस प्रकार की मतदान प्रणाली का प्रयोग किया जाता है?
वर्तमान समय में भारत सरकार द्वारा दो प्रकार की मतदान प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है, जिससे भारत में चुनाव संपन्न कराए जाते हैं। छोटे स्तर के चुनाव को कराने के लिए बैलट पेपर का प्रयोग किया जाता है, तथा राज्यसभा तथा लोकसभा के चुनाव के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है।