प्यार एक भावनात्मक लगाव जो एक दूसरे से एक दूसरे को आपस में बांधे रखता है जिसके कारण लोग मानसिक रूप से एक दूसरे से जुड़े होते हैं। भावनात्मक रूप से एक दूसरे के साथ लगाव ही प्यार कहलाता है। भावनात्मक लगाव के कारण हम एक दूसरे के साथ रिश्तो में बंधे होते हैं, जिसके कारण हम एक दूसरे के प्रति समर्पित तथा जिम्मेदार भी होते हैं। प्यार की परिभाषा प्रत्येक रिश्ते के लिए अलग-अलग होती है, मां बेटे तथा, बेटे पिता के मध्य प्यार को वात्सल्य होता है, वही एक पति पत्नी तथा एक प्रेमी प्रेमिका के मध्य प्यार को अनुराग कथा वैराज्ञ के नाम से जाना जाता है। हम एक दूसरे के साथ प्यार को कैसे प्रकट करते हैं, प्यार कैसे करते हैं? प्यार की परिभाषा इन सभी भावनात्मक तथ्य पर निर्भर होती है। इसलिए प्रत्येक रिश्ते के साथ प्यार करना तथा प्यार को जाहिर करना अलग-अलग प्रकार से हो सकता है। इसलिए प्यार को कभी सभी रिश्तो के लिए एक जैसा नहीं बनाया जा सकता है, न ही सभी रिश्तो के लिए प्यार एक जैसा हो सकता है।
प्यार क्या है?
प्रेम एक शाश्वत भाव है जो कल था, आज है और कल भी रहेगा जो प्रकृति के कण-कण में प्यार समाया हुआ है। प्रेम की शक्ति तथा ऊर्जा से ही प्रकृति हमेशा पल्लवी, फूलित तथा विकसित हो रही है। प्राचीन काल से विभिन्न प्रकार के प्रेम प्रसंग की कहानियां चली आ रही हैं, तथा उनको प्यार की खातिर नए रूप में दोहराया जा रहा है। ऐसा माना जाता है, कि किसी से प्यार करना या कोई आपसे प्यार करे या दुनिया का सबसे सुखद एहसास माना जाता है। प्राचीन काल से ही लेखकों, शायरों तथा मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार के प्रेम परिभाषाएं अपने लेखन, कविताएं तथा शायरी के माध्यम से दिया हुआ है।
किंतु आज तक हम प्यार को किसी एक परिभाषा के माध्यम से व्यक्त करने में असफल रहे हैं, क्योंकि प्यार कैसे करते हैं, कब, क्यों हो, किससे हो जाए यह कहना बड़ा मुश्किल होता है। प्रेम के बारे में सबकी अपनी अलग-अलग सोच होती है। लोगों का ऐसा मानना है, कि प्रेम का संबंध एक दूसरे की आत्मा से होता है जिसमें वचन बद्धता, समर्पण तथा विश्वास की भावना होती है। प्यार को दिखाया या जताया नहीं जा सकता है इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
लगाकर देख ले जो भी हिसाब आता है,
घटाकर मैं तुझे गिनती में रह नहीं सकता।।
What is Love
प्यार एक ऐसी भावनात्मक क्रिया है जिसके कारण एक दूसरे के प्रति समर्पण को लेकर प्राचीन काल से बहुत सारी कहानियां प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल के प्यार में बहुत अधिक समर्पण तथा विश्वास की भावना होती थी, जिसमें लोग एक दूसरे के लिए वर्षों तक इंतजार करते थे विश्वास में बैठे रहते थे, तथा एक दूसरे के प्यार के साथ अपनी धन-दौलत तथा खजाने लुटा दिया करते थे। आधुनिक समय में ग्लोबलाइजेशन के चक्कर में प्यार मात्र एक टाइम पास करने का जरिया बन गया है। आधुनिक समय में प्यार सिर्फ दिखावा होता है, और एक दूसरे के धन, दौलत तथा पोजीशन से लगाव को प्यार माना जाता है, किंतु वास्तव में प्यार भावनात्मक होता है। आधुनिक समय की तरह भौतिकवाद से जुड़ा नहीं होता है। आधुनिक समय में प्यार को खुलेआम, सड़कों, पब्लिक प्लेस में दिखाना या जताना वास्तविक प्यार से बहुत अलग होता है।
आज के समय में प्यार बेटा-बेटी को मां-बाप द्वारा ही किया जाता है। इसके अलावा जितने भी रिश्ते-नाते होते हैं या आपके प्यार करने वाले होते हैं। वह आपको सिर्फ दिखावे के लिए प्यार करते हैं, जबकि उनको प्यार आपकी धन-दौलत, रुपया-पैसा तथा सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण होता है। यदि आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा तथा रुपया-पैसा, धन-दौलत व पोजीशन अच्छी है, तो आपके सभी नाते-रिश्तेदार, यार-दोस्त आपसे प्यार करने का दावा करते हैं। किंतु यही जब आपके पास विषम परिस्थितियों में नहीं होते हैं, आपके पास पैसा नहीं होता है, आपके पास पोजीशन नहीं होती है, तो आपसे प्यार करने वाला भी कोई नहीं होता है।
प्यार कैसे करते हैं
यदि आप किसी से प्यार करना चाहते हैं, तो आपको प्यार का वास्तविक मतलब पता होना चाहिए। किसी की शारीरिक संरचना तथा उसकी भौतिक उपलब्धि के कारण आपको उससे प्यार नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके भावनात्मक आंतरिक व्यवहार के कारण आपको किसी से प्यार होना चाहिए। यदि आप 2 लोगों में से पहला जिसके पास रुपया-पैसा तथा पोजीशन के साथ-साथ सुंदर रूप रही है, किंतु दूसरे के पास इन सभी चीजों के अलावा आत्मसम्मान, दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार, आपके साथ भावनात्मक लगाव आदि है, तो आप किसके पास या किससे प्यार करना पसंद करते हैं।
यदि आप पहले व्यक्ति से प्यार करना पसंद करते हैं, तो आप उससे प्यार से जुड़े हुए हैं, किंतु यदि आप दूसरे व्यक्ति से प्यार करते हैं, जिसके पास रुपया पैसा नहीं है तो निश्चित रूप से ही आप वास्तविक प्यार का मतलब जानते हैं, क्योंकि यदि व्यक्ति के पास रुपया पैसा नहीं भी होगा किंतु आप का सम्मान करना तथा आपसे प्यार करने, आप से लगाओ रखने की भावना है, तो वह आपको हमेशा खुश रखने की कोशिश करेगा, जो आपके लिए बहुत ही मायने रखती है। इसलिए यदि आप चाहे मां-बाप, भाई-बहन, पति-पत्नी या किसी की नाते रिश्तेदार से प्यार जताना चाहते हैं, तो आप उन्हें यह उनके साथ निम्नलिखित बर्ताव तथा क्रियाकलाप कर सकते हैं
Pyar Kaise Karte Hain
- सुख दुख में एक साथ रहे।
- अपने रिश्ते में ईमानदार रहें।
- एक दूसरे के लिए पर्याप्त समय दें।
- एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें।
- आपस में एक दूसरे के साथ खुलकर बातें करें।
- स्वाभाविक व्यवहार करें।
- एक दूसरे के विचारशील बातों को स्वीकार करें।
- एक दूसरे की जरूरत को समझें।
- एक दूसरे का सहयोग करें।
- एक दूसरे के साथ समझौता के लिए तैयार है।
- एक दूसरे की पसंद नापसंद को समझें।
- एक दूसरे के विचारों को गंभीरता से लें।
- एक दूसरे की बुरी बातों को भूल जाए।
- आपस में विश्वास रखें।
सुख-दुख में एक साथ रहे
प्यार एक ऐसा संबंध होता है जिसमें भावनात्मक रूप के साथ-साथ शारीरिक तथा मानसिक रूप से भी जुड़े हुए होते हैं। प्यार की स्थिति में हमारे तथा हमारे साथी के विचार एक दूसरे से मिलते हैं, तभी एक दूसरे के प्रति स्नेह उत्पन्न होता है, जो एक दूसरे को समझने की शक्ति रखता है तथा एक दूसरे की भावनाओं से सहमत रहता है। यदि आपके साथी को किसी प्रकार का कष्ट होता है, तो उस दुख का अनुभव यदि आपको भी हो रहा है, तो इसका मतलब है आप एक दूसरे के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं, और यदि आपको किसी प्रकार का हर्ष है और आपकी खुशी से ज्यादा आपका साथी खुश है, तो निश्चित रूप से ही आप ही आप एक दूसरे की भावनाओं को समझते हैं, और एक दूसरे के सुख दुख मे साथ रह सकते हैं।
यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो प्यार कैसे करते हैं? तथा प्यार में क्या करना चाहिए? इन सभी बातों को छोड़कर एक दूसरे का सुख-दुख में सहयोग तथा साथ देना प्यार कहलाता है। किसी ने 4 पंक्तियों के साथ कहा है
ये जहां भी साथ दे तो और बात है, तू जरा भी साथ दे तो और बात है।
चलने को तो एक पैर से भी चल रहे हैं लोग, दूसरा भी साथ दे तो और बात है।।
अपने रिश्ते में ईमानदार रहें
एक सफल प्यार और प्रेम संबंध के लिए आपको एक दूसरे के प्रति एक दूसरे से ईमानदार रहना बहुत ही आवश्यक होता है। इमानदारी का मतलब भावनात्मक रूप से स्वतंत्र होकर प्रत्येक बात या भावना को वास्तविक रूप में एक दूसरे से प्रकट कर सकते हैं। उच्च विचार या भावना में किसी प्रकार का परिवर्तन या बदलाव करने की आवश्यकता न हो वह चाहे कितना भी अच्छा या कितना भी बुरा क्यों ना हो।
यदि आप एक दूसरे के प्रति इमानदारी से किसी भी बात को कहने तथा सुनने व समझने में ईमानदारी व्यक्त करते हैं तथा एक दूसरे की भावनाओं को ईमानदारी पूर्वक कहने तथा सुनने की शक्ति रखते हैं, तथा ईमानदारी पूर्वक उन बातों का सलूशन निकालते हैं तो आप एक दूसरे से निश्चित ही प्रेम संबंध में बंधे हुए हैं, और इसके विपरीत यदि आप करते हैं तो आप केवल एक दूसरे को दिखाने या जताने के लिए ही प्यार करते हैं।
मैं जीतने के लिए बाध्य नहीं हूं…,
लेकिन मैं सच बोलने के लिए बाध्य हूं।
मैं सफल नहीं हो सकता,
लेकिन मैं बोल सकता हूँ कि मेरे पास ईमानदारी है।।
एक दूसरे के लिए पर्याप्त समय दें
आधुनिक समय में दुनिया के साथ भाग दौड़ भरी जिंदगी में इतना व्यस्त हो जाते हैं, कि हमें रिश्तो के लिए समय नहीं बचता है। ऐसी स्थिति में अपने मां-बाप, भाई-बहन, बेटा-बेटी तथा पति-पत्नी के साथ-साथ अन्य रिश्तेदारों को समय नहीं दे पाते हैं। जिसके कारण हम जीवन में भौतिक रूप से तो बहुत आगे निकल जाते हैं, किंतु हमारे सामाजिक रिश्ते तथा संबंध बहुत दूर रह जाते हैं। हमारे और उनके बीच में केवल इतना संबंध होता है, कि हम उन्हें जानते हैं और वह हमारे रिश्तेदार हैं। यहां तक कुछ ऐसे भी मामले देखने को मिलते हैं, जिसमें पति-पत्नी के लिए भी टाइम नहीं दे पाता है। ऐसी स्थिति में हमारे रिश्ते टूट जाते हैं, इसलिए रिश्तो को मजबूत बनाए रखने के लिए हमें एक दूसरे को समय देना बहुत ही आवश्यक होता है।
यदि आप गांव घर से दूर बड़े शहरों में रहते हैं, तो अपने मां-बाप से समय-समय पर मिलने अवश्य पहुंचे तथा त्यौहार या किसी फंक्शन के समय अपने रिश्तेदारों से अवश्य मिले, दिन में आधे से 1 घंटे का समय अपने पत्नी तथा बच्चों के लिए अवश्य निकालें, जिससे आप उनसे भावनात्मक रूप से भी जुड़े रह सकते हैं, और यदि आपको एक दूसरे के लिए अपने कार्य से भी समय निकालते हैं तो इसका मतलब है कि आप एक दूसरे से प्यार के संबंध के लिए लालायित हैं, और एक दूसरे के रिश्तो की कद्र करना जानते हैं।
“यदि आपके पास अपनों के लिए समय नहीं है,
तो इसका मतलब है आपने खुद को भी खो दिया है।।”
एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें
यदि आप किसी से प्यार करते हैं, या अपने मां-बाप से बहुत अधिक प्यार करते हैं तो हमें एक दूसरे की भावनाओं के साथ जुड़ना बहुत ही आवश्यक होता है। यदि हम उनकी भावनाओं को बिना उनके कहे समझते हैं और उन्हें पूरा करने की कोशिश करते हैं तो इसका मतलब है, कि हम वास्तविक रूप में उन्हें समझते हैं। यदि आप किसी की बात को बिना कहे समझ जाते हैं या आपकी बात आपके भावनाओं को कोई बिना कहे समझ जाता है, इसका मतलब है आप उनके साथ या वह आपके साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। सामान्य रूप से प्यार में बहुत अधिक प्रचलित बात होती है कि हम उनकी भावनाओं को उनकी आंखों में देखकर समझ जाते हैं।
यदि आपके अंदर या आपके सहयोगी साथी के अंदर ऐसी भावनाएं हैं तो निश्चित रूप से ही आप उनकी भावनाओं को समझते हैं। भावनाओं को समझना ही अधिक नहीं होता है, बल्कि उनकी भावनाओं का सम्मान करना उनकी भावनाओं के हिसाब से अपने आप को परिवर्तित करना, एक दूसरे की भावनाओं के प्रति सम्मान कहलाता है। यदि आप अपने साथी की भावनाओं के अनुसार अपने आप को परिवर्तित कर लेते हैं, तो आप अपने साथी से अटूट प्रेम करते हैं तथा यही भावना आपके साथी के अंदर भी होनी चाहिए आपके प्रति।
रिश्ते भी वही अच्छे लगते हैं,
जहाँ सम्मान होता है एक दूसरे के लिए,
और जहाँ सम्मान नहीं होता,
वहाँ रिश्ते नहीं होते।
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आपस में एक दूसरे के साथ खुलकर बातें करें
आधुनिक समय में हमारे हाथों में मोबाइल के रूप में पूरी दुनिया होती है, हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हजारों फ्रेंड होते हैं, किंतु खुलकर बात करने के लिए हमारे पास कोई नहीं होता है, क्योंकि हम बहुत ही प्राइवेट होते जा रहे हैं, जिसके कारण हम अपने सुख-दुख तथा मानसिक विचारों को किसी के साथ व्यक्त नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण हम विभिन्न प्रकार की मानसिक समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। यदि आप किसी के साथ प्रेम संबंध में है या आप अपने मां-बाप के साथ हैं, या अन्य किसी रिश्तेदार के साथ है तो आप के रिश्ते ऐसे होने चाहिए कि आप अपनी बातों को उनसे खुलकर बता सके।
यदि आप अपनी भावनाओं को एक दूसरे के साथ खुलकर बता सकते हैं, चाहे किसी प्रकार के भी बातें हैं तो निश्चित रूप से ही आप एक दूसरे को आंतरिक रूप से समझते हैं। यदि आप अपने साथी को या आपका साथी आपको खुलकर कोई बात नहीं बता सकता है, तो इसका मतलब है कि आपके बीच स्पष्टता नहीं है। इसलिए आप अपने प्यार को मजबूत तथा विश्वास पूर्ण बनाने के लिए एक दूसरे से खुलकर बात करनी चाहिए, तथा एक दूसरे को प्रत्येक बात को बताना चाहिए।
यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा,
जमी बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा।
न हो मायूस, न तू घबरा अंधेरों से मेरे साथी,
इन्हीं रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा।।
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स्वाभाविक व्यवहार करें
जब आप किसी से प्यार करते हैं या किसी के साथ रिलेशनशिप में रहते हैं, तो आप उनके साथ वास्तविक तथा स्वाभाविक रूप से रहने की कोशिश करें, क्योंकि आप जो वास्तव में हैं उसी तरह आपको पूरे जीवन रहना होगा, आप बनावटी तरीके से जिंदगी नहीं गुजार सकते हैं। इसलिए बनावटी तरीके से नहीं रहना चाहिए, क्योंकि आप का वास्तविक तथा स्वाभाविक रूप कभी ना कभी सामने आता है, ऐसी स्थिति में आपका पार्टनर या अन्य आपसे प्यार करने वाले आपको झूठा तथा धोखेबाज मान सकते हैं।
इसलिए आप स्वाभाविक रूप से जैसे हैं समाज तथा रिश्तेदारों के सामने या अपने प्यार करने वालों के सामने उसी प्रकार से रहें, बनावटी जीवन बहुत अधिक दिनों तक नहीं रहता है तथा बनावटी जीवन के पीछे एक झूठ तथा धोखा छिपा होता है, जो प्यार करने वालों के लिए बहुत ही खराब चीज होती है।
दिखावा और झूठ बोलकर व्यवहार बनाने से अच्छा है,
सच बोलकर दुश्मन बना लो, आपके साथ कभी विश्वासघात नहीं होगा
एक दूसरे के विचारशील बातों को स्वीकार करें
एक दूसरे के विचार शील बातों को स्वीकार करने का मतलब है, की दोनों में से यदि कोई फैसला लेना है तो यदि दोनों अपनी अपनी राय रखते हैं तो केवल अपनी बात मनवाने या सही साबित करने की कोशिश ना करें, दोनों लोगों की बातों में क्या वास्तविकता है, इसके बारे में सोचें और सोचने के बाद ऐसा निर्णय लें जो सही हो, वह निर्णय चाहे आपका हो या आपके पार्टनर का ऐसा करने से आपको तथा आपके पार्टनर को सही निर्णय लेने में मदद मिलती है तथा एक दूसरे की भावनाओं को सम्मान तथा वास्तविकता तक पहुंचाने में मदद मिलती है।
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं और केवल अपनी बातों को ही सर्वमान्य समझते हैं, तो आपके पार्टनर को लगेगा कि हमारी बातों की कोई कदर नहीं होती है। ऐसी स्थिति में आप दोनों के बीच दूरियां बढ़ सकती हैं, इसलिए यदि आपका पार्टनर सही है तो उसकी बातें माने और यदि आप सही हैं, तो अपनी बात उन्हें समझाने की कोशिश करें।
“लोगों को उतना ही बोलो, जितना सुन सको,
सिर्फ बोलने की हिम्मत नहीं होनी चाहिए,
सुनने की भी हिम्मत होनी चाहिए,
क्योंकि बात सिर्फ आत्म-सम्मान की होती है,
वरना जो सुन सकता है, वह सुना भी सकता है,
पर जो सुना सकता है, वह सुन नहीं सकता।”
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एक दूसरे की जरूरत को समझें
किसी के भी जीवन में प्यार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में एक दूसरे के प्यार के बिना अपने आप को अधूरा महसूस करता है। जिस प्रकार जिंदगी में व्यक्ति जीने के लिए संघर्ष करता है, उसी तरह जिंदगी के लिए वह प्यार पाने के लिए भी संघर्ष करता है। प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी का प्यार पाने की कोशिश करता रहता है, वह चाहे मां-बाप, भाई-बहन, दोस्तों का या अपने किसी सगे संबंधी के साथ-साथ अपने पत्नी या गर्लफ्रेंड का भी हो सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप किस प्रकार का और किससे प्यार का अनुभव कर रहे हैं, किंतु आप जिससे भी प्यार का अनुभव कर रहे हैं उसकी जरूरतों को अपने जीवन में समझने की कोशिश करें।
जब वह आपके जीवन में नहीं था तो आपका जीवन कैसा था तथा उसके आने के पश्चात आपके जीवन में कौन से परिवर्तन हुए हैं, उनके बारे में सोचें यदि कोई परिवर्तन आपके जीवन तथा सामाजिक स्तर पर आपको ऊंचाइयों की तरफ ले जा रहे हैं तो आप सही व्यक्ति से प्यार करते हैं, इसलिए किसी व्यक्ति के आपके जीवन में आने पर जो कमियां पूरी हुई हैं, उनकी अहमियत समझें और अपने प्यार करने वालों या वाले की जरूरत को अपने जीवन में महत्वपूर्ण स्थान दें। इससे सामने वाला व्यक्ति अपना सम्मान समझता है और वह और अधिक आपको प्यार करता है, तथा आप पर विश्वास करता है।
बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,
मुझे जरूरत है तुम्हारी अपनी जिंदगी के लिए।
एक दूसरे का सहयोग करें
सामान्य तौर पर आपा किसी की भी मदद कर देते हैं तो वह आपको आशीर्वाद, प्यार या प्रोत्साहन देता है, जिससे आप अपने हृदय में एक विशेष प्रकार का सुखद अनुभव महसूस करते हैं। रास्ते में चलते हुए यदि आप किसी की मदद करते हैं, और वह आपको धन्यवाद कहता है तो आपको एक आंतरिक सुखद अनुभव प्राप्त होता है। इसी प्रकार अपने जीवन में अपने प्यार करने वालों का सहयोग करते रहना चाहिए इससे आप तथा आपके प्यार करने वालों के मध्य एक विशेष प्रकार का बंधन स्थापित होता है, जिससे एक दूसरे के प्रति प्यार तथा विश्वास बढ़ता है।
लोग अक्सर यह सोचते रहते हैं कि प्यार कैसे करते हैं? किंतु एक दूसरे का सहयोग तथा एक दूसरे का सम्मान ही प्यार होता है, जो एक दूसरे से लगाव तथा हृदय प्रेम बढ़ाता है। यदि आप किसी का बिना मतलब के सहयोग करते हैं, तो उसके हृदय में आपके प्रति सामान तथा प्यार बढ़ता है, यह आपको उस व्यक्ति से लगाव बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए यदि आप किसी के साथ प्यार में हैं या आप अपने यार दोस्तों के बीच में रहते हैं, तो उनसे प्यार पाने के लिए आप को एक दूसरे का सहयोग करना बहुत जरूरी होता है, इससे आपको सहयोग के साथ-साथ प्यार को बढ़ाने में मदद मिलती है।
इस संसार में जब कोई ”गिरी” हालत में हो,
तो उसकी एक औंस के बराबर सहायता देना,
एक पौंड के बराबर उपदेश देने की अपेक्षा अधिक अच्छा हैं।।
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एक दूसरे के साथ समझौता के लिए तैयार है
मानव जीवन में कोई भी कभी भी पूर्ण रूप से विद्वान नहीं होता है, जो कभी भी कोई गलती ना करें। मनुष्य के रूप में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति गलतियों का एक पुतला होता है, जो जिंदगी में गलतियां करता रहता है और उन गलतियों से सीखता रहता है। इसलिए आपको यह मानना चाहिए कि जीवन में प्रत्येक व्यक्ति से गलतियां होना स्वाभाविक है। जिस व्यक्ति से गलतियां नहीं होती हैं, वह व्यक्ति इंसान से बढ़कर भगवान के रूप में माना जाता है, और धरती पर ऐसा असंभव है।
इसलिए किसी विशेष प्रकार की गलती को बहुत बड़ा इशु नहीं बनाना चाहिए, वह गलती चाहे आपसे हुई हो या किसी दूसरे से। यदि आप दोनों में से किसी से गलती हुई है तो उस गलती के बदले में माफी मांग कर एक दूसरे के साथ समझौता करना चाहिए, ऐसा करने से आगे आने वाले समय में व्यक्ति गलती करने से पहले सौ बार सोचता है और वह आपके विश्वास को तोड़ता नहीं है। गलती होने पर भी समझौता करना आप दोनों के मध्य विश्वास को बढ़ाता है इसलिए गलती किसी से भी हो आपस में समझकर समझौता करना प्यार को बढ़ाता है।
एक दूसरे की पसंद नापसंद को समझें
आधुनिक समय में बहुत सारे रिश्ते एक दूसरे के पसंद और नापसंद के चक्कर में टूट जाते हैं, क्योंकि हम अपनी पसंद दूसरों पर थोपना चाहते हैं, किंतु दूसरों की पसंद को समझना या स्वीकारना नहीं चाहते हैं। ऐसी स्थिति में हमारे रिश्ते बहुत जल्दी टूट जाते हैं, तथा हमें एक दूसरे का प्यार नहीं मिलता है क्योंकि पसंद और नापसंद के चक्कर में हम एक दूसरे पर विश्वास खो देते हैं। इस दुनिया में जितने भी तरह के लोग हैं, सबकी पसंद और नापसंद अलग-अलग होती है। सभी के अपने अपने शौक होते हैं किंतु जब एक दूसरे से मिलते हैं और एक दूसरे के साथ प्यार और संबंध में रहना चाहते हैं, तो आप दोनों को ही कुछ चीजों का समर्पण करना होता है, यह समर्पण एक दूसरे के लिए प्यार को पाने के लिए किया जाता है। इन समर्पण में अपने साथी की पसंद को स्वीकार करना तथा अपनी पसंद को समर्पित करना प्यार कहलाता है।
यदि यही भावना दोनों प्यार करने वालों के मध्य होती है तो ऐसी स्थिति में एक दूसरे का समर्पण एक दूसरे के मध्य प्यार को बढ़ाता है। पसंद और नापसंद में खान-पान, पहने की चीजों के अलावा प्यार करने के तरीके रहन-सहन तथा बोली भाषा की बातें तथा साथी के साथ किस तरह से बर्ताव करना है, आदि हो सकता है। प्रारंभिक समय में जब आप किसी के साथ बंधन में या शादी के बंधन में बंधते हैं तो आपको एक दूसरे के पसंद का, रहन सहन के बारे में नहीं पता होता है, किंतु धीरे-धीरे आप एक दूसरे को जानने की कोशिश करते हैं और एक दूसरे का सहयोग करते हुए एक दूसरे का विश्वास और प्यार प्राप्त करते हैं और अंत में यही रिश्ता बहुत अधिक मजबूत हो जाता है।
प्यार की खातिर किया गया त्याग इंसान को तोड़ देता,
पर जिंदगीयो को जोड़ देता है।
एक दूसरे के विचारों को गंभीरता से सुने
जब हम किसी के साथ संबंध में या प्यार में होते हैं तो कभी-कभी हम केवल अपनी बातों को कहने की कोशिश करते हैं, किंतु किसी का प्यार पाना या प्यार में किसी को पाना तभी संभव हो सकता है, जब आप उसे समझते हैं और किसी को भी समझने के लिए उसे सुनना बहुत जरूरी होता है। जब आप किसी व्यक्ति को लंबे समय तक सुनते हैं तो उसकी भावनाओं को समझ पाते हैं, जो आपके रिश्ते के लिए जीवन भर बहुत ही उपयोगी होती हैं।
यदि आप किसी को भी भावनात्मक रूप से समझ जाते हैं और उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं, तो आप किसी भी व्यक्ति को बड़ी आसानी से समझ सकते हैं, और वह व्यक्ति आपके विचारों से मेल खाता है या नहीं इसका की अनुमान लगा सकते हैं। इसलिए किसी के भी साथ संबंध स्थापित करने से पहले उसके विचारों को सुनें उसके विचारों को सुनने से आपके अंदर एक दूसरे के मध्य स्थापित होने वाले रिश्तो को बेहतर बनाने तथा एक दूसरे की बातों को गंभीरता से सुनने के कारण एक दूसरे को समझने में आसानी होती है, इसलिए आपको अपने साथ ही यार दोस्त तथा अपने रिश्तेदारों को ध्यान से सुनना चाहिए, जो आपको उनके साथ बेहतर संबंध स्थापित करने में मदद करता है।
हमेशा शांत रहे, तो जीवन में खुद को बहुत मजबूत पाएंगे,
जैसे लोहा ठंडा रहने पर बहुत मजबूत होता है
लेकिन गर्म होने पर उसे किसी भी आकार में ढाल दिया जाता है।
एक दूसरे की बुरी बातों को भूल जाए
हम अपने जीवन में कभी भी पूर्ण नहीं हो सकते हैं, इसलिए सही तथा गलत बातें होती रहती हैं। इंसान जीवन में गलतियां करता रहता है, और सॉरी बोल कर आगे बढ़ता रहता है जो व्यक्ति सॉरी बोलना और सॉरी को स्वीकार करना जानता है, वह जिंदगी में कभी अकेला नहीं रहता है, क्योंकि यह सभी को पता है कि सभी से कभी ना कभी तो कोई ना कोई गलती होनी ही है। लेकिन किसी एक गलती पर किसी को गलत ठहरा देना तथा उसे हमेशा के लिए गलत मान लेना यह प्रत्येक व्यक्ति की बहुत बड़ी गलती होती है।
इसलिए यदि आप अपने रिश्तेदारों अपने प्रेमी तथा घरवालों की गलतियों को भुलाकर उन्हें माफ करते हैं, तो इससे उनके हृदय में आप के प्रति सम्मान तथा प्यार बढ़ता है तथा पूर्व में हुई किसी भी गलती को कभी भी दोहराने की कोशिश ना करें और कभी भी यह जताने की कोशिश ना करें की तुमने पहले गलती की है, इसलिए तुम गलत हो पुरानी बातों को भूल जाएं और नए तरीके से प्रत्येक बार जीवन को प्रारंभ करें और जीवन को इस तरह से जीने की कभी भी यह एहसास ना हो कि आपके साथ इसे कभी कोई गलती हुई थी। यदि आप ऐसा करते हैं तो निश्चित रूप से ही आप सभी के प्यारे पात्र बनाते हैं तथा आपका पार्टनर आपसे बहुत अधिक प्यार करता है।
माफ़ कर दो उनको जिनको तुम भूल नहीं सकते,
भूल जाओ उनको जिनको तुम माफ़ नहीं कर सकते।
आपस में विश्वास रखें
यदि आपको या आपके साथ ही को एक दूसरे पर इतना विश्वास है, कि यदि किसी से कोई गलती हो जाती है और आप एक दूसरे को गलती करने का जिम्मेदार मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं, आपको विश्वास होता है कि आपका साथी ऐसी गलती नहीं कर सकता है तो निश्चित रूप से ही आपको अपने साथी पर बहुत अधिक विश्वास होता है और प्यार करने के लिए एक दूसरे के प्रति विश्वास होना बहुत आवश्यक होता है। आपका साथी से कभी यदि कोई गलती हो भी जाती है तो आपको बहुत जल्दी उसकी गलती करने पर विश्वास नहीं होना चाहिए, आपको यह विश्वास होना चाहिए कि नहीं हमारा साथ ही गलत नहीं हो सकता और यदि गलत हुआ भी है तो उसके परिस्थितियों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए, जो लोग इन बातों का ध्यान रखते हैं तथा दूसरे के प्रति विश्वास की भावना रखते हैं निश्चित रूप से ही उनके रिश्ते बहुत लंबे समय तक जीवन भर बने रहते हैं।
किसी का भी विश्वास पाने के लिए सबसे पहले खुद को विश्वासी होना चाहिए। आप जितना अधिक इमानदारी से काम करेंगे या अपने साथी के साथ रहेंगे आपका साथ ही उतना अधिक आपके ऊपर विश्वास करेगा और आप दोनों एक दूसरे के प्रति जितना इमानदार रहेंगे उतना ही आप दोनों के मध्य विश्वास बढ़ेगा। प्यार विश्वास का ही दूसरा नाम होता है, जब आप दोनों के मध्य अधिक विश्वास बढ़ता है तो वह प्यार में परिवर्तित हो जाता है, जितना अधिक विश्वास होता है उतना अधिक प्यार हो जाता है।
विश्वास की कमी प्यार कम कर देगी,
ज़िन्दगी में फिर तुम्हारी ज़हर भर देगी
अपने साथी की बातों को सहना मुश्किल हो जाएगा,
फिर एक ही घर में रहना मुश्किल हो जाएगा।।
निष्कर्ष
प्यार और सहयोग एक ऐसी भावनाएं हैं, जिनके ऊपर व्यक्ति का पूरा जीवन निर्भर होता है। इसलिए हमें प्रत्येक व्यक्ति से प्यार तथा अच्छे संबंध बना कर रखना चाहिए। यही संबंध हमारे जीवन के पश्चात हमें याद करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। यदि आपके संबंध बहुत अच्छे होते हैं, तो आपको लोग एक अच्छे इंसान के रूप में याद करते हैं, और यदि आपके संबंध और प्यार करने की भावना अच्छी नहीं होती है तो आपको लोग याद भी नहीं करते हैं।
इसलिए प्यार कैसे करते हैं? तथा प्यार किससे करना चाहिए? इसके बारे में प्रत्येक व्यक्ति को जानकारी होनी चाहिए। प्यार एक ऐसा रिश्ता होता है जो किसी के भी मध्य स्थापित हो सकता है, इसके लिए आप को किसी को ढूंढने की आवश्यकता नहीं होती है। प्यार जिससे होना होता है उससे हो जाता है, यह आपकी भावनाओं तथा संबंधों तथा आदतों से लगाव प्यार होता है। वास्तविक प्यार जात-पात, रंगभेद, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर आदि भावनाओं को देखकर नहीं होता है, यह एक दूसरे के अंतर ह्रदय के आपसी तालमेल के कारण एक दूसरे के प्रति उत्पन्न होता है।
लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्न
क्या प्यार की कोई सीमा होती है?
प्यार एक दूसरे के प्रति अंतर हृदय में उत्पन्न होने वाला एक भाव है, जो कभी भी समाप्त नहीं होता है। कभी-कभी समय के अनुसार कुछ समय के लिए यह कम जरूर हो जाता है, किंतु इसे समाप्त नहीं किया जा सकता है इसलिए प्यार की कोई सीमा नहीं होती है। यह किसी से भी किसी भी हद तक हो सकता है, इतिहास में बहुत सारी कहानियां मिलती हैं जिनमें लोगों ने प्यार के लिए अपना जीवन तथा अपना सर्वस्व निछावर कर दिया है। इसलिए प्यार को हम किसी भी सीमा में बांधकर नहीं रह सकते हैं।
प्यार में सबसे जरूरी क्या है?
प्यार में सबसे जरूरी एक दूसरे की भावनाओं को समझना तथा भावनाओं के अनुसार एक दूसरे पर विश्वास करना, प्यार में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु होता है। यदि आप एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं, और एक-दूसरे पर अटूट विश्वास करते हैं तो निश्चित रूप से ही आप का प्यार कभी ना समाप्त होने वाला प्यार होता है, और वह दुनिया के दिखावे तथा भौतिकवाद से बहुत दूर होता है। ऐसे प्यार में एक दूसरे की खुशी ही सब कुछ होती है।
प्यार का सही मतलब क्या होता है?
मनोवैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर वास्तविक स्तर में देखा जाए तो प्यार का कोई मतलब नहीं होता है, क्योंकि जहां पर किसी प्रकार का मतलब होता है वास्तविक रूप में वहां पर प्यार नहीं होता है, क्योंकि मतलब हमारी जरूरतों को दर्शाता है और यदि आप जरूरत के लिए किसी से प्यार करते हैं, तो वह मात्र एक लगाव होता है उसे प्यार नहीं कहते हैं।
प्यार की फीलिंग क्या होती है?
यदि आपको किसी से प्यार हुआ है, तो उसकी खुशी आपको बहुत अधिक खुशी प्रदान करती है, उस पर आपको बहुत अधिक विश्वास होता है और सभी लोगों में वह आपके लिए प्राथमिक होता है, प्यार की फीलिंग में विश्वास तथा मानसिक लगाव बहुत अधिक मायने रखते हैं।